शरद कटियार
उत्तर प्रदेश, जिसे कभी बीमारू राज्यों की सूची में रखा जाता था, आज देश की राजनीतिक धुरी और विकास की प्रयोगशाला के रूप में देखा जा रहा है। 2017 में जब योगी आदित्यनाथ ने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तो एक संत का सत्ता तक पहुंचना लोगों के लिए चौंकाने वाला था। परंतु अब, सात वर्षों के शासन के बाद, उन्होंने साबित किया कि कठोर अनुशासन, पारदर्शिता और ‘न्यूनतम राजनीति, अधिकतम प्रशासन’ का सिद्धांत किस तरह एक राज्य को बदल सकता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज न केवल उत्तर प्रदेश की सबसे प्रभावशाली राजनीतिक हस्ती हैं, बल्कि वह राष्ट्रीय राजनीति में भी निर्णायक भूमिका निभाने लगे हैं। उनके नेतृत्व में यूपी में जिस तरह कानून व्यवस्था सुदृढ़ हुई है, इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार हुआ है और शासन तंत्र में पारदर्शिता आई है – वह एक अनुकरणीय मॉडल बन चुका है।
योगी आदित्यनाथ राजनीति में केवल एक जननेता नहीं हैं, वह विचारधारा के वाहक हैं। गोरखनाथ मठ के महंत के रूप में उनका आध्यात्मिक और सामाजिक कार्य पहले से चर्चित रहा है। 1998 में मात्र 26 वर्ष की आयु में लोकसभा पहुंचने वाले योगी, लगातार 5 बार सांसद रहे।
उनकी राजनीतिक शैली में तपस्वियों की गंभीरता, सैनिकों की सख्ती और प्रशासकों की कार्यकुशलता का संगम देखने को मिलता है। ‘राजधर्म’ को वे केवल सिद्धांत नहीं, व्यवहार में उतारते हैं।
योगी आदित्यनाथ के शासन की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि कानून व्यवस्था है। उत्तर प्रदेश, जो कभी अपराध और माफिया राज के लिए बदनाम था, अब एक भयमुक्त प्रदेश के रूप में जाना जाने लगा है।
सांख्यिकी गवाही दे रहे हैं:
7,000+ एनकाउंटर (2017-2025), जिनमें 180 से अधिक कुख्यात अपराधी मारे गए।
23,000 से अधिक अपराधियों की गिरफ्तारी।
₹2,400 करोड़ से अधिक की माफिया संपत्ति जब्त या ध्वस्त।
गैंगस्टर एक्ट, NSA और बुलडोजर एक्शन से माफियाओं में भय।
यह बदलाव केवल पुलिस कार्यवाही तक सीमित नहीं रहा, बल्कि आम जनता के मन में “अब कानून का डर है” – यह विश्वास पैदा हुआ।
योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश को इंफ्रास्ट्रक्चर की दृष्टि से भारत का सबसे गतिशील राज्य बना दिया है। एक्सप्रेसवे नेटवर्क से लेकर मेट्रो प्रोजेक्ट्स, मेडिकल कॉलेजों से लेकर हवाई अड्डों तक — हर क्षेत्र में तेजी से कार्य हुआ है।
मुख्य उपलब्धियाँ:
पूर्वांचल, बुंदेलखंड, गंगा एक्सप्रेसवे: कुल 1,200+ किमी
11 एयरपोर्ट चालू, 13 निर्माणाधीन – जेवर एयरपोर्ट एशिया का सबसे बड़ा होगा,
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 में ₹40 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव,
स्मार्ट सिटी योजना में 10 शहर; PMAY के तहत 43 लाख से अधिक मकान।
प्रदेश की सड़कों पर अब “गड्ढा मुक्त अभियान” का असर दिखता है, ग्रामीण और शहरी परिवहन में अंतर धीरे-धीरे मिट रहा है।
जहाँ उत्तर प्रदेश कभी बेरोजगारी के लिए आलोचना झेलता था, वहीं अब स्टार्टअप नीति और ODOP जैसी योजनाओं के कारण युवा पीढ़ी को अवसर मिल रहे है।
6.5 लाख सरकारी भर्तियाँ (पुलिस, शिक्षक, लेखपाल आदि),
5 लाख से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत,
ODOP योजना के तहत ज़िला-विशेष उत्पादों को प्रोत्साहन,
टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस कॉरिडोर जैसी नई औद्योगिक नीतियाँ।
मुख्यमंत्री का स्पष्ट निर्देश है – “हर हाथ को काम और हर युवा को पहचान।”
योगी सरकार का ध्यान सिर्फ ढांचागत विकास पर नहीं रहा, बल्कि सामाजिक कल्याण की योजनाओं को भी मजबूती से लागू किया गया है।
मिशन कायाकल्प से 1.3 लाख प्राथमिक विद्यालयों का कायाकल्प,
छात्रवृत्ति, ड्रेस, किताब, बैग और टैबलेट वितरण,
प्रदेश के सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज का लक्ष्य (2025 तक)
एनआरसी, एमबीबीएस सीटों में बढ़ोतरी; नए AIIMS (गोरखपुर)।
आयुष्मान भारत योजना में 1.2 करोड़ कार्ड,
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, जन औषधि केंद्रों का विस्तार,
कोविड प्रबंधन की प्रशंसा पूरे देश और WHO तक ने की।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता सूची में महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण सर्वोपरि रहा है।
मिशन शक्ति के तहत महिला हेल्पलाइन (1090), पिंक बूथ, एंटी रोमियो स्क्वॉड,
सरकारी नौकरियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी,
“मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना” – बालिकाओं को शिक्षा और विवाह के लिए सहयोग,
महिला स्वयं सहायता समूहों को ₹8,000 करोड़ से अधिक का बैंक ऋण।
जहाँ एक ओर योगी सरकार की प्रशंसा होती है, वहीं कुछ आलोचनाएं भी समय-समय पर उठती रही हैं।
बुलडोजर कार्रवाई को कुछ लोग “न्यायिक प्रक्रिया के परे” मानते हैं,
बेरोजगारी दर अब भी चुनौती बनी हुई है (विशेषकर शहरों में),
मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों में “संवेदनशीलता की कमी” को लेकर असंतोष,
शिक्षा में अभी भी सरकारी विद्यालयों की गुणवत्ता को सुधारने की ज़रूरत है।
लेकिन यह कहना भी सही होगा कि आलोचनाओं को योगी सरकार नकारती नहीं, बल्कि समीक्षा का अवसर मानती है।
भविष्य की राह: 2027 और आगे का उत्तर प्रदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल की निरंतरता ने यूपी को स्थायित्व दिया है। अगले विधानसभा चुनाव (2027) में उनका चेहरा और रिपोर्ट कार्ड भाजपा के लिए सबसे बड़ी ताकत बन सकता है।
मुख्य प्राथमिकताएँ:
5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था में यूपी का 1 ट्रिलियन का योगदान,
हर जिले में विश्वविद्यालय/मेडिकल कॉलेज,
डिजिटल यूपी: ई-गवर्नेंस, ऑनलाइन सेवाओं का पूर्ण विस्तार सहित किसानों की आय दुगुनी करने का लक्ष्य है।
योगी युग – एक नेतृत्व जो दिशा भी देता है और दृष्टि भी
योगी आदित्यनाथ के शासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राजनीतिक नेतृत्व केवल वादों तक सीमित नहीं होता, यदि उसमें इच्छाशक्ति और स्पष्ट नीति हो तो एक राज्य की काया पलट सकती है।
उनकी पहचान आज “सख्त लेकिन न्यायप्रिय प्रशासक” की है। उन्होंने न केवल गुंडाराज पर लगाम लगाई, बल्कि आम आदमी को विश्वास दिलाया कि – “अब उत्तर प्रदेश बदल रहा है।”
यह परिवर्तन आकस्मिक नहीं, बल्कि योजनाबद्ध, सुसंगठित और निष्पक्ष नेतृत्व का परिणाम है।
“योगी युग” अब केवल एक राजनीतिक अवधि नहीं, बल्कि एक शासन दर्शन है — जो अनुशासन, सुरक्षा और विकास के त्रिकोण पर खड़ा है।