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Thursday, September 19, 2024

‘गलती से भी कांवड़ियों की धार्मिक भावनाएं आहत न हो’, ‘नेमप्लेट’ वाले फैसले पर योगी सरकार का SC में जवाब

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नई दिल्ली। कांवड़ रूट (Kanwar Route) पर दुकानदारों के नेमप्लेट (Nameplate) लगाने वाले आदेश पर यूपी की योगी सरकार (Yogi Government)  ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जवाब दाखिल किया है। योगी सरकार (Yogi Government) ने अपने जवाब में कहा कि कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) के दौरान खाने-पीने के सामान में भ्रम के चलते पहले कई झगड़े हो चुके हैं। कांवड़ियों ने कई बार इसकी शिकायतें की हैं। इन्हीं शिकायतों के आधार पर ऐसे निर्देश दिए गए। हालांकि, कोर्ट इस आदेश पर रोक लगा चुकी है।

योगी सरकार (Yogi Government) की तरफ से शुक्रवार को कोर्ट में बताया गया कि यह आदेश इसलिए दिया गया ताकि कांवड़ियों की भावनाएं न भड़कें। इसके साथ ही इस आदेश का मकसद क्षेत्र में शांति और भाईचारा बनाए रखना भी था। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने यूपी, उत्तराखंड समेत कुछ अन्य राज्य सरकारों के ऑर्डर पर स्टे जारी कर दिया था। राज्य सरकारों ने कांवड़ रूट को लेकर आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि रूट पर पड़ने वाली दुकानों और स्ट्रीट वेंडर्स को नाम के साथ स्टाफ मेंबर्स की डिटेल भी देनी होगी। साथ ही उन्हें यह भी बताना होगा कि वह किस तरह का खाना देते हैं।

यूपी सरकार ने कोर्ट में बताया कि कांवड़ियों को परोसे गए खाने को लेकर छोटा सा कंफ्यूजन भी बड़े विवाद का विषय बन जाता है। यूपी सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि यह निर्देश अलगाव करने वाले नहीं हैं। यह सभी जाति-धर्म के दुकानदारों पर समान रूप से लागू होते हैं। लाइव लॉ के मुताबिक यूपी सरकार ने बताया है कि खासतौर पर सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाकों जैसे मुजफ्फरनगर में ऐसी समस्याएं देखने को मिली हैं। आगे कहा गया कि पूर्व में देखा गया है कि बेचे जा रहे खाने के प्रकार को लेकर विवाद हुए हैं। यह निर्देश पहले ही जारी कर दिए गए थे, ताकि स्थिति तनावपूर्ण न होने पाए।

यूपी सरकार ने अपनी दलील में कहा है कि लाखों-करोड़ों लोग नंगे पांव गंगाजल लेकर यात्रा कर रहे हैं। ऐसे में किसी भी तरह का कंफ्यूजन बड़े पैमाने पर हालात खराब कर सकता है। सरकार ने कहा कि अगर कांवड़ियों को मन-मुताबिक खाना नहीं मिला तो पूरी यात्रा पर इसका खराब असर दिख सकता है। इसके अलावा क्षेत्र का शांति और सौहार्द भी प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा यूपी सरकार की दलील में उस घटना का भी जिक्र किया गया है, जिसमें खाने में प्याज और लहसुन पड़े होने के चलते कांवड़िए भड़क गए थे और तोड़-फोड़ कर डाली थी।

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बता दें कि कोर्ट ने स्टे लगाते हुए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और दिल्ली प्रदेश सरकार से 26 जुलाई को जवाब मांगा था। कोर्ट ने तब कहा था कि ढाबा-रेस्टोरेंट मालिकों और फल-सब्जी विक्रेताओं से यह तो कहा जा सकता है कि वह कांवड़ियों को बेच रहे खाद्य पदार्थों का नाम लिखकर लगाएं। लेकिन उन्हें इस बात के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता कि वह मालिकों या कर्मचारियों की नाम और पहचान जाहिर करें।

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