शरद कटियार
लखनऊ के हजरतगंज क्षेत्र की वह कीमती डालीबाग जमीन, जो कभी माफिया मुख्तार अंसारी के कब्जे में थी, अब उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक दृढ़ता और राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतीक बन गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) आज जब उसी जमीन पर बने 72 ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स (EWS flats) की चाबियाँ गरीब परिवारों को सौंपेंगे, तो यह केवल एक सरकारी योजना का शुभारंभ नहीं होगा — बल्कि यह उस नई व्यवस्था की घोषणा होगी जिसमें माफिया के डर पर शासन की नीति भारी पड़ी है।
योगी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत माफिया और अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ जो सख्त कार्रवाई शुरू हुई थी, वह अब सामाजिक न्याय के ठोस रूप में जनता के सामने आ रही है। डालीबाग की यह जमीन, जो कभी सत्ता संरक्षण में लूट का प्रतीक थी, आज मेहनतकश तबके के सपनों की नींव बन गई है।
इन फ्लैट्स का निर्माण ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल आवासीय योजना’ के तहत किया गया है — लेकिन इसका असली अर्थ केवल आवास प्रदान करना नहीं, बल्कि एक संदेश देना है कि उत्तर प्रदेश में अब राजनीति से ऊपर “व्यवस्था का शासन” स्थापित हो रहा है। गरीबों को सम्मानजनक जीवन देना और अपराधियों से जमीन छुड़ाकर उसे विकास के प्रतीक में बदलना, दोनों ही शासन की प्राथमिकता बन चुके हैं।
सरकार द्वारा इस परियोजना के लिए अपनाई गई पारदर्शी प्रक्रिया — लाभार्थियों की लॉटरी, फ्लैट्स की निश्चित कीमत, और सुविधाओं से युक्त निर्माण — यह साबित करती है कि अब प्रदेश में योजनाएं केवल कागजों पर नहीं, धरातल पर उतर रही हैं। लेकिन इस उपलब्धि का महत्व केवल प्रशासनिक नहीं है। यह एक मानसिक परिवर्तन का संकेत भी है। उत्तर प्रदेश की पहचान लंबे समय तक अपराध और राजनीतिक गठजोड़ से जुड़ी रही है। मगर अब वही राज्य एक ऐसी नीति का उदाहरण बन गया है जिसमें अपराध से अर्जित जमीनें गरीबों के अधिकार में बदल रही हैं। यह कानून की सर्वोच्चता का प्रमाण है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कदम यह भी दर्शाता है कि शासन व्यवस्था केवल दंड देने वाली नहीं, बल्कि सृजन करने वाली शक्ति भी है। अपराध से छीनी गई भूमि जब बेघर परिवारों के आशियाने में बदलती है, तो यह न्याय का सबसे मानवीय रूप बन जाता है।
आज जब प्रदेश के गरीब परिवार डालीबाग में अपने नए घर की चाबी थामेंगे, तब यह केवल एक ईंट-पत्थर की इमारत नहीं होगी — यह एक संदेश होगा कि अपराध का अंत और विकास का आरंभ साथ-साथ संभव है। यदि यही रफ्तार और निष्ठा बनी रही, तो योगी सरकार न केवल प्रशासनिक सख्ती का पर्याय बनेगी, बल्कि ‘अपराधमुक्त और आत्मसम्मानपूर्ण उत्तर प्रदेश’ की दिशा में एक स्थायी विरासत छोड़ जाएगी।


