अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ द्वारा भव्य योग एवं ध्यान शिविर का आयोजन
लखनऊ: संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश शासन के अंतर्गत कार्यरत अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ द्वारा आज 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International yoga day) के अवसर पर “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग एवं ध्यान शिविर” का आयोजन मान्यवर श्री कांशीराम जी ग्रीन (इको) गार्डन, आलमबाग (Alambagh), लखनऊ (Lucknow) में किया गया। इस कार्यक्रम में लगभग 350 प्रतिभागियों ने सहभागिता कर योग, ध्यान और शांति के संदेश को आत्मसात किया।
कार्यक्रम का आरंभ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के योग दिवस के विशेष संदेश और लाइव प्रसारण के साथ हुआ, जिसे एल.ई.डी. स्क्रीन के माध्यम से सभी प्रतिभागियों ने देखा। अपने संदेश में प्रधानमंत्री जी ने कहा, “योग का अर्थ है जोड़ना, और आज यह देखकर संतोष होता है कि योग ने पूरे विश्व को आपस में जोड़ दिया है। यह करोड़ों लोगों की जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है।” इसके पश्चात उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं संस्थान की कुलाधिपति का ऑडियो/वीडियो संदेश भी प्रसारित किया गया, जिसमें उन्होंने योग के वैज्ञानिक, सांस्कृतिक और आत्मिक पक्षों को रेखांकित किया।
योग सत्र का संचालन आयुष मंत्रालय द्वारा निर्धारित मानक योग प्रोटोकॉल के अनुरूप किया गया। योग गुरु आचार्य प्रशांत की शिष्याएं कालिंदी पाल एवं श्रीमती कुसुम पाठक द्वारा प्रतिभागियों को योगाभ्यास कराया गया। इस क्रम में “सूर्य नमस्कार योग मुद्रा” के समस्त आसनों का प्रदर्शन और अभ्यास कराया गया, जिसमें 10 मिनट तक उच्चारित होने वाले मंत्रों के साथ सूर्य नमस्कार की क्रियाएं की गईं।
कार्यक्रम में संस्थान के सदस्य भिक्षु शील रतन, भिक्षु देवानंद वर्धन, तरुणेश बौद्ध, श्रीलंका से आए वेन डॉ. जुलाम्पिटिये पुण्यासार महास्थविर, संस्थान के निदेशक डॉ. राकेश सिंह, अरुणेश मिश्र, डॉ. धीरेंद्र सिंह, महिला योग शक्ति संस्था की सदस्याएं, बौद्ध भिक्षु, बौद्ध एवं जैन संस्थानों के कर्मचारी, छात्र-छात्राएं, पत्रकार एवं योग प्रेमी उपस्थित रहे।
अपने विचार साझा करते हुए भिक्षु शील रतन ने कहा कि “विपश्यना ध्यान साधना एवं योग के माध्यम से मानसिक और शारीरिक शांति प्राप्त की जा सकती है। यह सम्यक जीवन का आधार है।” संस्थान के निदेशक डॉ. राकेश सिंह ने योग के विविध पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा, “योग न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य में सहायक है, बल्कि यह मानसिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विकास का भी आधार है। यह जीवन में ईर्ष्या, राग, द्वेष से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।”
कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों में योग एवं ध्यान के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उन्हें इनके लाभों से परिचित कराना रहा। आयोजकों ने विश्वास व्यक्त किया कि ऐसे आयोजनों से समाज में मानसिक संतुलन, स्वास्थ्य एवं समरसता की भावना को बढ़ावा मिलेगा। अंत में निदेशक डॉ. राकेश सिंह ने सभी अतिथियों, बौद्ध भिक्षुओं, वक्ताओं, छात्र-छात्राओं, मीडिया कर्मियों एवं समस्त प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया और भविष्य में भी इस प्रकार के आयोजनों को जारी रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।