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Friday, June 6, 2025

संस्कार भारती की कार्यशाला में मनाया गया विश्व पर्यावरण दिवस

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– पोस्टर-स्लोगन प्रतियोगिता के साथ हुईं विचार गोष्ठियां, पर्यावरण संरक्षण का दिया गया संदेश

फर्रुखाबाद: विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) के अवसर पर कला एवं साहित्य की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती (All India Sansthan Sanskar Bharti) की फर्रुखाबाद (Farrukhabad) इकाई द्वारा मदन मोहन कनौडिया बालिका इण्टर कॉलेज में चल रही ग्रीष्मकालीन कार्यशाला में पर्यावरण संरक्षण पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर विचार गोष्ठी, पोस्टर और स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं और बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ गणेश वंदना पर कत्थक नृत्य के साथ हुआ, जिसने पर्यावरण और संस्कृति के बीच के गहरे संबंध को दर्शाया। नृत्य के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि भारतीय परंपरा में प्रकृति की पूजा का विशेष स्थान रहा है। कार्यक्रम में भूपेंद्र प्रताप सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि आजकल केवल पॉलीथीन और गंदगी ही नहीं, बल्कि ई-कचरा भी गंभीर बीमारियों का कारण बन रहा है। मोबाइल की लत बच्चों और युवाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर कर रही है।

वैभव राठौर ने कहा कि, “पर्यावरण के लिए हमें भाषणों से आगे बढ़कर ठोस कार्य करने होंगे। अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे और उनका पालन-पोषण भी करना होगा।” डॉ. नवनीत गुप्ता ने कहा कि पेड़-पौधे न केवल हमें ऑक्सीजन देते हैं बल्कि उनके हरे रंग से आंखों को तरोताजगी मिलती है जो हमें डिजिटल युग की ड्राय आई सिंड्रोम जैसी बीमारियों से बचाती है।

सुमन त्रिपाठी ने कहा कि पर्यावरण को बचाना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। यदि पर्यावरण संरक्षित है, तभी हमारा भविष्य सुरक्षित है। श्वेता दुबे ने प्लास्टिक के नुकसानों और उसके निस्तारण के तरीकों पर विस्तार से बात की। उन्होंने प्रतिभागियों को प्लास्टिक का सीमित प्रयोग करने और पुनः उपयोग योग्य वस्तुओं को प्राथमिकता देने की सलाह दी।

पर्यावरण संरक्षण विभाग के संयोजक सुधेश कुमार दुबे ने छात्र-छात्राओं से पर्यावरण संबंधित सवाल पूछे। बच्चों ने आत्मविश्वास के साथ अपने-अपने अंदाज में उत्तर दिए, जिससे उनकी पर्यावरणीय जागरूकता का प्रमाण मिला। विशाल श्रीवास्तव ने द्वापर युग का उदाहरण देते हुए कहा कि, “जैसे भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना को प्रदूषित करने वाले कालिया नाग का अंत किया था, उसी प्रकार आज हमें नदियों को प्रदूषित करने वाली आधुनिक ‘कालिया शक्तियों’ का अंत करना होगा।”

इस अवसर पर आयोजित पोस्टर और स्लोगन प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। विजेताओं को प्रमाण पत्र और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। इस पर्यावरणीय कार्यक्रम में कई प्रमुख शिक्षाविद, समाजसेवी और संस्कृतिकर्मी उपस्थित रहे। प्रमुख उपस्थितियों में शामिल रहे। नवीन मिश्रा (नब्बू भैया), नरेंद्र नाथ मिश्र, समरेन्द्र शुक्ल,रीतू शुक्ला, अरविंद दीक्षित, अर्पण शाक्य, डॉ. सर्वेश श्रीवास्तव,पंकज वर्मा,संदीप, साधना श्रीवास्तव, प्रिया वर्मा, नेहा सक्सेना, रजनी, अनुभव सारस्वत आदि मौजूद रहे।

सभी ने अपने विचार रखे और बच्चों के प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम का सफल संचालन संयोजक विशाल श्रीवास्तव ने किया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि जीवन भर की प्रतिबद्धता है।

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