दिल्ली: Delhi High Court ने भरण-पोषण से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि विधवा बहू (Widowed daughter-in-law) अपने ससुर की पैतृक संपत्ति से भरण-पोषण की हकदार है। अदालत ने यह निर्णय हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 19(1) और 21(vii) के आधार पर दिया।
न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि अगर ससुर का निधन हो चुका है और उनकी पैतृक संपत्ति उनके उत्तराधिकारियों में विभाजित हो गई है, तब भी विधवा बहू उस संपत्ति से भरण-पोषण की मांग कर सकती है। अदालत ने यह भी कहा कि यह अधिकार केवल पैतृक संपत्ति तक सीमित रहेगा और ससुर की निजी या स्व-अर्जित संपत्ति पर लागू नहीं होगा।
यह फैसला उस याचिका पर आया जिसमें एक महिला ने ट्रायल कोर्ट द्वारा उसकी भरण-पोषण की अर्जी खारिज किए जाने को चुनौती दी थी। महिला मार्च 2023 में विधवा हुई थी, जबकि उसके ससुर की मृत्यु इससे पहले दिसंबर 2021 में हो चुकी थी।
हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को गलत ठहराते हुए कहा कि भले ही ससुर की मृत्यु महिला के पति से पहले हुई हो, लेकिन कानून के तहत बहू को ससुर की पैतृक संपत्ति से भरण-पोषण पाने का वैधानिक अधिकार प्राप्त है। अदालत का यह फैसला विधवा महिलाओं के अधिकारों को मजबूती देने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।