– 17 सूत्रीय मांगों को लेकर यूनियनों ने सरकार को दी चेतावनी, आम जनता परेशान
फर्रुखाबाद। बैंक निजीकरण के खिलाफ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (UFBU) के आह्वान पर आज पूरे देश में बैंक कर्मियों की हड़ताल रही, जिसका असर फर्रुखाबाद जनपद के शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में भी व्यापक रूप से देखने को मिला। कमालगंज, फतेहगढ़, मोहम्मदाबाद, नवाबगंज, अमृतपुर, शमसाबाद और कायमगंज जैसे सभी प्रमुख कस्बों में सरकारी और अर्ध-सरकारी बैंक पूरी तरह बंद रहे।
फर्रुखाबाद शहर के स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक और केनरा बैंक की मुख्य शाखाएं बंद रहीं। वहीं, ग्रामीण अंचलों की शाखाओं में भी ताले लटके रहे। हड़ताल के चलते लेन-देन, पासबुक प्रिंटिंग, नकद निकासी, चेक क्लीयरिंग जैसी तमाम सेवाएं पूरी तरह बाधित हो गईं। इससे किसानों, व्यापारियों, पेंशनधारकों और छोटे कारोबारियों को खासा नुकसान हुआ।
कमालगंज, कायमगंज और मोहम्मदाबाद में जोरदार प्रदर्शन
कमालगंज, कायमगंज और मोहम्मदाबाद में बैंककर्मियों ने शाखाओं के बाहर हाथों में बैनर और तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए निजीकरण की नीतियों को जनविरोधी और गरीब-विरोधी करार दिया।
कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
बैंक यूनियनों ने सरकार के समक्ष 17 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा है, जिसमें प्रमुख मांगें शामिल हैं: कि बैंकों के निजीकरण पर रोक लगाई जाए।
आउटसोर्सिंग व्यवस्था बंद की जाए।
सभी बैंकों में स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति हो।
पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू हो।
कॉर्पोरेट कर्जदारों से सख्ती से वसूली की जाए।
₹26,000 न्यूनतम वेतन सुनिश्चित किया जाए।
महिला व असंगठित श्रमिकों को बराबरी का अधिकार मिले।
बीमा प्रीमियम पर जीएसटी हटाया जाए।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के जिला संयोजक ने कहा कि, “सरकार मुनाफा कमाने के लिए सार्वजनिक बैंकों को निजी हाथों में सौंपना चाहती है, जबकि इन बैंकों की नींव गरीब और मध्यम वर्ग की मेहनत और बचत पर खड़ी है। अगर सरकार ने आंदोलन को अनसुना किया, तो आने वाले समय में हड़ताल और उग्र रूप ले सकती है।”
शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक बैंक बंद होने से लोगों को दिनभर बैंकिंग कार्यों में असुविधा हुई। नगदी निकालने, कर्ज संबंधी फॉर्म भरने, छात्रवृत्ति कार्यों और पासबुक अपडेट जैसे जरूरी काम अटक गए।
फतेहगढ़ के एक बुजुर्ग ग्राहक रामकुमार वर्मा ने कहा, “पेंशन निकालने आया था, लेकिन बैंक बंद मिला। अब घर लौटना पड़ेगा। पहले से सूचना होती तो न आता।”
हड़ताल के बाद अब सबकी निगाहें केंद्र सरकार पर टिकी हैं कि वह बैंक कर्मचारियों की मांगों पर क्या रुख अपनाती है। यदि कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है।