खबर विशेष : शरद कटियार (प्रधान संपादक) ✍️
लखनऊ (यूथ इण्डिया): जल ही जीवन है – यह सिर्फ एक नारा नहीं, आज की सबसे बड़ी सच्चाई है। यदि हम आज नहीं जागे, तो आने वाली पीढ़ियों को जल संकट का भयंकर रूप देखने को मिलेगा। इसलिए न केवल सरकार और उद्योगों, बल्कि हर नागरिक का दायित्व है कि वह जल संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाए। वाटर हार्वेस्टिंग एक ऐसा सशक्त माध्यम है, जो हमें जल संकट से उबार सकता है। अब समय आ गया है कि हम जल को केवल उपयोग की वस्तु न समझें, बल्कि उसकी रक्षा और संरक्षण को अपना कर्तव्य मानें।
भारत समेत पूरी दुनिया आज गंभीर जल संकट की ओर बढ़ रही है। जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, औद्योगीकरण और जलवायु परिवर्तन ने जल संसाधनों पर अभूतपूर्व दबाव डाला है।
एक ओर जहां मानसून पर निर्भर रहने वाली कृषि और ग्रामीण जनजीवन जल की कमी से जूझ रहा है, वहीं दूसरी ओर निजी कंपनियां और फैक्ट्रियां प्राकृतिक जल स्रोतों का अत्यधिक दोहन कर रही हैं। ऐसे में जल संरक्षण और वाटर हार्वेस्टिंग यानी जल संचयन की महत्ता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है।
वर्तमान में निजी कंपनियों द्वारा प्राकृतिक जल स्रोतों का दोहन बहुतायत में हो रहा है। कई निजी कंपनियां और उद्योग प्राकृतिक जल स्रोतों – जैसे कि भूमिगत जल, तालाब, झीलें और नदियां – से भारी मात्रा में जल निकाल रहे हैं। वे अपने उत्पादों के निर्माण, प्रोसेसिंग या अन्य व्यापारिक कार्यों के लिए बेतहाशा पानी का उपयोग करती हैं, लेकिन उसके संरक्षण या पुनः उपयोग की दिशा में अपेक्षित कदम नहीं उठातीं।
कई बार देखा गया है कि ये कंपनियां वर्षाजल संचयन जैसी व्यवस्थाएं नहीं अपनातीं, जिससे जल स्तर लगातार गिरता चला जाता है। वहीं एक बड़ा कारण ये भी है कि हर गांव क्षेत्र से लेकर बड़े शहरों तक निजी फैक्टियों का गंदे पानी का निकास खुले में या बड़े बड़े बोरबेल करके छोड़ रहे। यह मानव जीवन और पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा रहा है।
गंदे पानी का खुले में निष्कासन – एक गंभीर संकट
औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला अपशिष्ट जल (गन्दा पानी रासायनिक हानिकारक केमिकल युक्त) अत्यंत हानिकारक होता है। इसमें रासायनिक तत्व, भारी धातुएं, टॉक्सिन्स और अन्य प्रदूषक तत्व होते हैं। यदि इस जल को उचित ट्रीटमेंट के बिना खुले में छोड़ा जाता है, तो यह न केवल मिट्टी को प्रदूषित करता है बल्कि आसपास के जल स्रोतों को भी जहरीला बना देता है। कई फैक्ट्रियां पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी करते हुए सीधे नालों, नदियों और खेतों में यह अपशिष्ट जल छोड़ देती हैं।
क्यों जरूरी है वाटर हार्वेस्टिंग?
1. गिरते भूजल स्तर को रोकने के लिए:
हर साल भूजल का स्तर गिरता जा रहा है। यदि वर्षाजल को संरक्षित कर जमीन में पहुंचाया जाए, तो यह भूजल को रिचार्ज करता है।
2. जल संकट से निपटने के लिए:
शहरी क्षेत्रों में पानी की कमी एक आम समस्या बन चुकी है। छतों पर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाकर वर्षा का पानी एकत्र किया जा सकता है और घरेलू उपयोग में लाया जा सकता है।
3. पर्यावरण संतुलन के लिए:
पानी का संरक्षण न केवल मानव जीवन के लिए बल्कि पारिस्थितिक संतुलन के लिए भी जरूरी है। वाटर हार्वेस्टिंग से नदियों और झीलों का जल स्तर बना रहता है।
4. औद्योगिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देने के लिए:
यदि उद्योग अपनी इकाइयों में जल पुनर्चक्रण (Recycle) और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अपनाएं, तो वे पर्यावरणीय उत्तरदायित्व का पालन कर सकते हैं।
समाधान की दिशा में आखिर क्या कदम हैं
1. कानूनी सख्ती: सरकार को चाहिए कि वह निजी कंपनियों पर जल स्रोतों के अत्यधिक दोहन और गंदे जल के अवैध निष्कासन को लेकर सख्त कार्रवाई करे।
2. प्रोत्साहन योजनाएं: जल संचयन को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी, टैक्स छूट और तकनीकी सहायता दी जाए।
3. सामुदायिक सहभागिता: आम जनता को वाटर हार्वेस्टिंग की तकनीक सिखाई जाए और इसे हर घर का हिस्सा बनाया जाए।
4. शिक्षा और जागरूकता: स्कूलों, कॉलेजों और मीडिया के माध्यम से जल संरक्षण के प्रति जन जागरूकता फैलाई जाए।