संभावित विवाद के चलते एलर्ट हुआ प्रशासन, नगर में इसी सप्ताह निकलनी है यात्रा
फर्रुखाबाद: कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) प्रत्येक वर्ष सावन माह में निकलती है। श्रद्धालु गोला समेत विभिन्न प्राचीन शिव मंदिरों में माँ गंगा का जल लेकर अभिषेक करते हैं। पिछले एक दशक से यह पर्व लगातार धूमधाम से मनाया जाने लगा है। सपा सरकार में इस पर कई प्रतिबंध लगे थे। नियमों को झड़ी लगा दी गयी थी। जबसे प्रदेश में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की सरकार आयी है तब से कांवरियों की सुविधाओं पर ध्यान दिया जाने लगा है।
सरकार की ओर से हैलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा भी की गयी। वहीं दूसरी और इस यात्रा का राजनैतिक दल के लोग अपने अपने ढंग से विरोध भी कर रहे हैं। कुछ तो यहां तक कह रहे हैं कि इससे युवा बर्बाद हो जायेगा। जबकि यह यात्रा किसी के दबाव में नहीं निकाली जाती है। जाति का भेद नहीं होता है। मस्ती में झूमते युवाओं की टोलियां कांवड़ यात्रा काफी समय से निकालते आ रहे हैं।
सदर सीट से समाजवादी पार्टी के समर्थन से चुनाव लड़ चुकी महान दल की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुमन मौर्य के पति खुलकर सोशल मीडिया पर विरोध कर रहे हैं। वहीं कई सपाई एक जाति विशेष को केंद्रित करते हुए कह रहे है कि पिछड़ा व अनुसूचित जाति के युवाओं को बरगलाया जा रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवरियों के लिए सुविधाओं का ध्यान रखा है। माँ गंगा के इंद-गिर्द वाले जिलों व जहां पर कांवड़ होती है वहां पर व्यवस्था चाक-चौबंद करायी है। कांवरिये जिधर से गुजरें, उधर अव्यवस्था न हो इसका भी ध्यान रखा जाता है।
सपा सरकार में तो श्रृंगीरामपुर से गंगाजल भरने वालों के साथ कई बार मारपीट हुई थी। कमालगंज में कई ऐसे गांव व मोहल्ले हैं, जिनमें बड़ी-बड़ी घटनायें हो जाती थी। कांवरियों को कई बार चोटे भी आयी थी। अब मजाल है कि कोई कांवरियों पर कंकड़ी भी उछाल दे। राजनैतिक नफा नुकसान को देखते हुए हर कोई अपने-अपने पक्ष को सही ठहराते हुए कांवड़ यात्रा पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा है। इन सबसे अनभिज्ञ कांवरिये डीजे पर झूमते हुए भोलेनाथ का अभिषेक करने के लिए निकल रहे हैं। एक सावन का सोमवार बीत चुका है, उसमें कांवरियों की भारी भीड़ उमड़ी थी। सपा मुखिया अखिलेश यादव की टिप्पणी के बाद स्थानीय स्तर पर कई लोग सधे हुए तरीके से कांवड़ यात्रा को गलत ठहरा रहे हैं।
हद तो तब हो गयी जब महान दल के मुखिया केशव देव मौर्य ने सोशल मीडिया पर दनादन कई पोस्टें डाली, उनका वश नहीं चल रहा था कि वे कांवरियों को सलाखों के पीछे डाल दें। लेकिन शब्दों से जमकर तीर छोड़े। एक पोस्ट में उन्होंने लिखा कि महानदल की इस मांग को भाजपा तो नहीं मानेगी लेकिन सपा सरकार आने पर अखिलेश यादव पूरा कर सकते हैं। जापान सरकार सूमो पहलवानों को प्रोत्साहित करने के लिए सैलरी देती है तो कांवड़ यात्रा में अपनी जान जोखिम में डालकर अधिक जल उठाने वाले सभी नौजवानों को भारत सरकार और प्रदेश सरकार सैलरी और मेडल दे।
इस पोस्ट पर कइयों ने अपने-अपने कमेंट किए। जिले में यह पोस्ट इसलिए चर्चा में रही कि पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी के समर्थन से महान दल के मुखिया की पत्नी सदर क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव लड़ी थी। उन्हें भाजपा प्रत्याशी मेजर सुनील दत्त द्विवेदी ने हराया था। उनकी पोस्ट तो बौद्ध धर्म को मानने वालों व मुस्लिम समाज के लोगों ने पसंद किया लेकिन अन्य लोगों ने यह कहकर अपना पक्ष रखा कि अगर हिम्मत है तो दूसरे धर्म के पर्यो पर टिप्पणी करके देखो, छटी तक का दूध याद दिला दिया जायेगा।
फिलाएल सोशल मीडिया पर कांवड़ यात्रा अब राजनैतिक मुद्दा बन गयी है। विरोध करने वालों का अपना एक समूह बन गया है। वहीं कांवड़ यात्रा निकाले जाने के लिए युवाओं में सक्रियता कम नहीं हो रही है। पिछड़ों, दलितों व सामान्य वर्ग में दरार डालने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। कुछ तो सामान्य वर्ग की एक जाति को केंद्र में रखकर दूसरी जातियों को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। इस संबंध में आनंद स्वरुप का कहना है कि कांवड़ यात्रा दो से तीन दिन के लिए होती है। इन तीन दिनों में कितने युवा बर्बाद हो जायेंगे, जो इसका विरोध कर रहे हैं वो तीन दिनों में कुछ करके दिखायें। किसी की धार्मिक मान्यताओं पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। यह समाज को बॉटने की सोची समझी रणनीति है।