- कायमगंज में कवियों ने काव्यांजलि के माध्यम से किया राष्ट्रनायक को नमन
कायमगंज (फर्रुखाबाद)। क्रांतिकारी विचारक वीर सावरकर की जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय प्रगतिशील फोरम द्वारा आयोजित संगोष्ठी में देशभक्ति की भावनाओं से ओतप्रोत काव्यांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम का आयोजन कृष्णा प्रेस परिसर, सदवाड़ा में किया गया, जिसकी अध्यक्षता पूर्व प्रधानाचार्य अहिवरन सिंह गौर ने की तथा संचालन शिक्षक नेता जेपी दुबे ने किया।
प्रोफेसर रामबाबू मिश्र ‘रत्नेश’ ने वीर सावरकर के अद्वितीय संघर्ष और त्याग को याद करते हुए कहा कि “काला पानी जैसी अमानुषिक यातनाएं भी उन्हें राष्ट्र धर्म से डिगा न सकीं।” उन्होंने अपनी कविता में वीरता का चित्रण करते हुए कहा—
“वे महाकाल की आन लिए भिड़ गए क्रूर दुःशासन से,
गोली की दम पर लौट दिए कुख्यात दरिंदे आसन से।
आजादी मिलती नहीं विनय से, मनुहारों से,
धरती हो जाती लाल वरण जब रण होता अंगारों से।”
प्रख्यात गीतकार पवन बाथम ने समकालीन सच्चाइयों पर आधारित देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया—
“पर्दे के पीछे से यह नापाक इरादे साफ हैं,
भूल न जाना यहां पर केवल सौ गाली ही माफ है।
आओ मिलकर गाएं वंदे मातरम… वंदे मातरम।”
हंसा मिश्रा ने एकता का संदेश देते हुए गीत सुनाया—
“मांगता देश बलिदान, बलिदान कर।
जिंदगी वक्फ कर देश की शान पर।
खिल रहा देश में एकता का कमल,
व्यर्थ में अब न हिंदू मुसलमान कर।”
प्रो. कुलदीप आर्य की पंक्तियाँ थीं—
“अमृत पुत्र हम परहित में विषपान किया करते हैं,
भुवन विजय करते जब मन में ठान लिया करते हैं।”
डॉ. सुनीत सिद्धार्थ ने कहा—
“जब-जब भीर पड़ी,
एक साथ भारत की जनता उठकर हुई खड़ी।”
छात्र यशवर्धन ने तीखा व्यंग्य करते हुए कहा—
“सावरकर जैसे वीरों का जो अपमान किया करते हैं,
वे सच में पशु हैं, मानव दिखते हैं, व्यर्थ जिया करते हैं।”
व्यंग्यकार मनीष गौड़ ने पाकिस्तान के फील्ड मार्शल जनरल मुनीर पर कटाक्ष करते हुए कहा—
“मियां मुनीर तुम्हारे कारनामे हम नहीं समझे,
अमा तुम आदमी हो या पजामे, हम नहीं समझे।”
प्रधानाचार्य शिवकांत शुक्ला ने राजनीति और सेना पर चेतावनी भरे स्वर में कहा—
“राजनीति करनी है, करो कहीं भी जाकर,
नहीं सियासत करें आप सेना को लेकर।”
वीएस तिवारी ने कहा—
“वीर पुत्र हम असिधारों पर धरकर चरण में मचलते हैं,
तेरे जैसे विषधर के फन हम तो रोज कुचलते हैं।”
कार्यक्रम में मौजूद साहित्यप्रेमियों और गणमान्य नागरिकों ने कवियों की प्रस्तुतियों की जमकर सराहना की और वीर सावरकर को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। आयोजन ने राष्ट्रप्रेम की भावना को नई ऊर्जा दी और युवाओं में देश के प्रति समर्पण की भावना को प्रबल किया।