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Friday, May 30, 2025

भाजपा में उपेक्षित महसूस कर रहे विश्वास गुप्ता, सपा छोड़ 2019 में हुए थे शामिल

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सुनील दत्त, रुपेश गुप्ता और मुकेश राजपूत की जीत में निभाई अहम भूमिका
फिर भी नहीं मिला राजनीतिक सम्मान — जनता और वैश्य समाज ने उठाए सवाल

फर्रुखाबाद | कभी समाजवादी पार्टी के प्रभावशाली नेता रहे विश्वास गुप्ता ने 2019 में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। उस समय उनके भाजपा में आने को बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम माना गया था। लेकिन पांच साल बाद भी उन्हें पार्टी में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं मिली है, जिससे न केवल उनके समर्थकों बल्कि फर्रुखाबाद के वैश्य समाज और आम जनता में भी नाराजगी का माहौल है।

विश्वास गुप्ता ने भाजपा में रहते हुए पार्टी को कई अहम चुनावों में सफलता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने मेजर सुनील दत्त द्विवेदी को जीत दिलाने में पूरी ताकत झोंकी। इसके बाद नगरपालिका चुनाव में उन्होंने खुलकर रुपेश गुप्ता का समर्थन किया और उन्हें चेयरमैन पद तक पहुंचाया। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने भाजपा प्रत्याशी मुकेश राजपूत की जीत सुनिश्चित करने के लिए अहम रणनीतिक भूमिका निभाई।
इतना सब करने के बावजूद आज तक उन्हें पार्टी में कोई पद या सम्मान नहीं दिया गया है।

इस उपेक्षा को लेकर अब फर्रुखाबाद की जनता पूछ रही है — “क्या आने वाले चुनाव में भाजपा को विश्वास गुप्ता जैसे कर्मठ नेता की जरूरत नहीं है?”

वैश्य समाज भी इस सवाल को खुलकर उठा रहा है और कह रहा है कि अगर ऐसे नेताओं को सम्मान नहीं मिलेगा, तो समाज की उपेक्षा भी पार्टी को भारी पड़ सकती है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विश्वास गुप्ता न केवल चुनावी रणनीति में माहिर हैं बल्कि उनके समाज में मजबूत जनाधार को नज़रअंदाज करना भाजपा के लिए भविष्य में महंगा साबित हो सकता है।

फिलहाल भाजपा की ओर से इस पूरे मसले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन अंदरखाने में यह मुद्दा गंभीरता से चर्चित हो चुका है।

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