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Friday, September 12, 2025

नेपाल में हिंसा: 36 लोगों की मौत, 1800 घायल; कर्फ्यू बढ़ाया, सुशीला कार्की होंगी अंतरिम प्रधानमंत्री

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काठमांडू: Nepal में जारी हिंसक घटनाओं और अशांति के बीच अब तक 36 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि लगभग 1800 लोग घायल (injured) हुए हैं। नेपाल की राजधानी काठमांडू, भक्तपुर और अन्य क्षेत्रों में सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों ने स्थिति को गंभीर बना दिया है।

बॉर्डर सुरक्षा में कड़ा कदम:

सशस्त्र सीमा बल (SSB) ने भारतीय सीमा पर नेपाल से आने वाले 67 संदिग्ध व्यक्तियों को हिरासत में लिया है। इन लोगों के नेपाल में हिंसा में शामिल होने या हिंसा को भड़काने का शक है। भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा और निगरानी बढ़ा दी गई है। नेपाल सरकार ने कर्फ्यू को कल सुबह 6 बजे तक बढ़ा दिया। काठमांडू, भक्तपुर और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में कर्फ्यू लागू किया गया है। शाम 5 बजे से 7 बजे तक कर्फ्यू में थोड़ी ढील दी गई ताकि जरूरी गतिविधियों और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।

नेपाल पुलिस और सेना ने कर्फ्यू के दौरान सड़कों पर पेट्रोलिंग तेज कर दी है और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष टीमों को तैनात किया गया है। सूत्रों के अनुसार, नेपाल में आगामी अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में सुशीला कार्की की नियुक्ति की तैयारी की जा रही है। यह कदम वर्तमान राजनीतिक संकट को स्थिर करने और शांति बहाल करने की दिशा में उठाया गया है।

नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता, जातीय तनाव और स्थानीय प्रशासन के फैसलों के विरोध में हिंसा भड़क गई है। कई इलाकों में लोग सड़कों पर उतर आए और प्रशासनिक भवनों, पुलिस चौकियों पर हमला किया। घायल हुए लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, लेकिन गंभीर घायलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। भारत ने नेपाल में हिंसा की गंभीरता को देखते हुए सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है।

भारतीय अधिकारियों ने नेपाल सरकार के संपर्क में रहकर नागरिकों की सुरक्षा और आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। नेपाल में स्थिरता बहाल करने और नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा के लिए संयुक्त प्रयास किए जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हाल की हिंसा नेपाल में लंबे समय से जारी अस्थिर राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार के गठन और कर्फ्यू के माध्यम से स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन स्थायी समाधान के लिए सभी पक्षों को संवाद और सहयोग करना होगा।

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