प्रयागराज में लगे नीले होर्डिंग से तेज हुई सियासी हलचल
*प्रयागराज।*
सियासी गलियारों में इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा जिस मुद्दे पर है, वह है समाजवादी पार्टी से निष्कासित विधायक *पूजा पाल* का अगला कदम। धूमनगंज के सुलेम सराय इलाके में लगे एक नीले रंग के होर्डिंग ने इस चर्चा को और हवा दे दी है। दधिकांदो मेले को लेकर लगाए गए इस होर्डिंग पर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर और पूजा पाल का नाम दर्ज है। होर्डिंग का नीला रंग सीधे-सीधे *बसपा की याद* दिलाता है, लिहाज़ा अब यह सवाल जोर पकड़ने लगा है कि क्या पूजा पाल एक बार फिर मायावती की पार्टी में वापसी करने जा रही हैं?
पूजा पाल का राजनीतिक सफर हमेशा सुर्खियों में रहा है। 2007 और 2012 में वह प्रयागराज पश्चिमी सीट से बसपा की विधायक बनीं। लेकिन 2019 में सियासी समीकरण बदलते ही उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थामा। 2022 में वह कौशांबी की चायल सीट से सपा उम्मीदवार रहीं। हालांकि, धीरे-धीरे उनकी पार्टी नेतृत्व से दूरी बढ़ती चली गई। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग और हाल ही में यूपी विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खुलकर तारीफ करना उनके लिए भारी पड़ा। नतीजा यह हुआ कि अखिलेश यादव ने अनुशासनहीनता का हवाला देते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
सपा से निष्कासन के बाद लंबे समय से यह अटकलें भी लगाई जा रही थीं कि पूजा पाल *भाजपा* की राह पकड़ सकती हैं। उनकी सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से हुई मुलाकातों ने इन कयासों को और मजबूती दी। यहां तक कि लोकसभा चुनाव के दौरान उन पर भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में अप्रत्यक्ष प्रचार करने के आरोप भी लगे।
लेकिन अब अचानक सामने आए इस नीले होर्डिंग ने राजनीतिक हलचल और बढ़ा दी है। विश्लेषक मान रहे हैं कि यह *बसपा कनेक्शन* की तरफ इशारा है। हालांकि, खुद पूजा पाल की ओर से अब तक कोई बयान नहीं दिया गया है।
फिलहाल, प्रयागराज से लेकर लखनऊ तक हर तरफ यही सवाल गूंज रहा है—क्या पूजा पाल भाजपा में जाएंगी या फिर मायावती के साथ दोबारा अपनी पारी शुरू करेंगी? उनके अगले कदम पर पूरे प्रदेश की निगाहें टिकी हुई हैं।