देहरादून। उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को देहरादून पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने 8260 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री ने एफआरआइ (फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट) में आयोजित भव्य समारोह में राज्य की विकास यात्रा को नई दिशा देने वाली योजनाओं की शुरुआत की।
प्रधानमंत्री मोदी ने रजत जयंती वर्ष के स्मारक डाक टिकट का भी विमोचन किया और जनसभा को संबोधित करते हुए उत्तराखंड को विकास और पर्यटन का नया केंद्र बताया। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड ने 25 वर्ष की इस यात्रा में जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वह पूरे देश के लिए प्रेरणादायक हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि उनके दूरदर्शी नेतृत्व में उत्तराखंड ने सुशासन, जनकल्याण और सर्वांगीण विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री का सान्निध्य राज्य को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने की दिशा में प्रेरित करता है।
एफआरआइ परिसर में प्रधानमंत्री मोदी ने विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए स्टॉलों का निरीक्षण किया और प्रबुद्ध जनों से संवाद किया। इस अवसर पर एफआरआइ में जनसमूह का अभूतपूर्व उत्साह देखने को मिला। अनुमान के अनुसार 75 हजार से अधिक लोग समारोह में पहुंचे, जबकि कई हजार लोग बाहर सड़कों पर जमे रहे।
शहर में प्रधानमंत्री के स्वागत को लेकर अभूतपूर्व तैयारियां की गई थीं। नगर निगम ने देहरादून को सजाने-संवारने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मुख्य मार्गों, चौराहों और आयोजन स्थल एफआरआइ के आसपास रोशनी और सजावट से पूरा शहर जगमगा उठा।
प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के तहत वह सुबह 11:05 बजे जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे, फिर हेलीकॉप्टर से भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) पहुंचे और वहां से सड़क मार्ग द्वारा एफआरआइ पहुंचे। कार्यक्रम दोपहर 1:30 बजे तक चला, जिसके बाद प्रधानमंत्री सड़क मार्ग से वापस आईएमए गए और वहां से हेलीकॉप्टर द्वारा जौलीग्रांट एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
इस दौरान प्रधानमंत्री द्वारा अमृत योजना के तहत देहरादून के 23 जोनों में पेयजल आपूर्ति परियोजना, पिथौरागढ़ विद्युत उपकेंद्र, सरकारी भवनों में सौर ऊर्जा संयंत्र और हल्द्वानी स्टेडियम में एस्टोटर्फ हॉकी ग्राउंड का शुभारंभ किया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की यह देवभूमि न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि अब विकास, पर्यटन और औद्योगिक प्रगति का नया प्रतीक बन रही है।






