– एक्सप्रेसवे, नेशनल हाइवे और ग्रामीण सड़कों के विस्तार ने बदली यूपी की कनेक्टिविटी, 2017 के बाद रिकॉर्ड गति से हुआ विकास
लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में सड़क (road) और एक्सप्रेसवे नेटवर्क (expressway network) के विस्तार ने राज्य की तस्वीर बदल दी है। वर्ष 2017 तक जहां प्रदेश के पास सिर्फ डेढ़ एक्सप्रेस-वे थे, वहीं आज विश्वस्तरीय गुणवत्ता वाले 7 एक्सप्रेसवे क्रियाशील हैं। इसके अलावा 5 एक्सप्रेसवे निर्माणाधीन हैं और 10 नए एक्सप्रेसवे का सर्वे किया जा रहा है। इससे प्रदेश देश के सबसे बड़े एक्सप्रेसवे नेटवर्क वाले राज्यों में शामिल हो गया है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, यूपी का राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क 12 हजार किलोमीटर से अधिक तक विस्तारित हो चुका है, जिससे औद्योगिक, कृषि और पर्यटन परिवहन को नई गति मिली है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत भी उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की गई है।
वर्ष 2013–14 में कुल ग्रामीण सड़क लंबाई 51,549.23 किमी थी।
वर्ष 2016–17 तक यह केवल 56,846.93 किमी तक ही पहुँच सकी।
लेकिन वर्ष 2017 के बाद तेज क्रियान्वयन, बेहतर समन्वय और जमीनी निगरानी के कारण:
वर्ष 2024–25 में यह लंबाई बढ़कर 77,425.14 किमी हो गई है।
इससे राज्य के दूरदराज ग्रामीण इलाकों में कनेक्टिविटी, स्कूल, अस्पताल, मंडियों और शहरों तक पहुंच में बड़ा सुधार हुआ है।
विशेषज्ञों के मुताबिक
लखनऊ–आगरा,
पूर्वांचल,
बुंदेलखंड,
गंगा,
गोरखपुर लिंक, जैसे एक्सप्रेसवे यूपी की अर्थव्यवस्था के लिए “मल्टीप्लायर” साबित हुए हैं। नए एक्सप्रेसवे का उद्देश्य औद्योगिक गलियारे, लॉजिस्टिक हब, डिफेंस कॉरिडोर, मेडिकल तथा एजुकेशन टाउनशिप को जोड़ना है। वर्ष 2017 के बाद उत्तर प्रदेश में सड़क बुनियादी ढांचे का विस्तार ऐतिहासिक रहा है।एक्सप्रेसवे से लेकर ग्रामीण सड़कों तक—राज्य आज कनेक्टिविटी, निवेश और विकास के नए दौर में प्रवेश कर चुका है।


