शरद कटियार
देश की युवा शक्ति को हमेशा एक ताकत के रूप में देखा गया है। लेकिन आज उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में शिक्षित युवा रोजगार के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। बीटेक, एमबीए, एमसीए जैसे उच्च डिग्रीधारी युवा भी आज जोमैटो, स्विगी, या अन्य डिलीवरी सेवाओं में काम करने को विवश हैं। यह न केवल उनकी शिक्षा और मेहनत का अपमान है, बल्कि देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
आंकड़े जो तस्वीर स्पष्ट करते हैं
देश में बेरोजगारी दर तेजी से बढ़ रही है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2024 में भारत की बेरोजगारी दर 8.3% रही, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 10% के करीब था। उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह स्थिति और अधिक भयावह है।
2023 में उत्तर प्रदेश में 1.8 करोड़ से अधिक युवाओं ने सरकारी नौकरी के लिए आवेदन किया था, लेकिन केवल 0.4% को ही नौकरी मिली।
बीटेक और अन्य तकनीकी डिग्रीधारियों की बेरोजगारी दर 40% से अधिक है।
नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) की रिपोर्ट के अनुसार, 15-29 आयु वर्ग के युवाओं में बेरोजगारी दर 20.2% है।
राजनीतिक नेतृत्व की जिम्मेदारी है कि वह देश के युवाओं को रोजगार देने के लिए ठोस कदम उठाए। लेकिन दुर्भाग्यवश, आज के नेताओं का ध्यान विकास कार्यों और रोजगार सृजन की बजाय बयानबाजी और धर्म-आधारित मुद्दों पर है।
मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसे अभियानों के बावजूद, ज़मीनी स्तर पर कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखता।
सरकारी विभागों में लाखों पद खाली हैं, लेकिन भर्तियों की प्रक्रिया धीमी है या रुकी हुई है।
निजी क्षेत्र में भी नौकरियों की कमी है, जिससे युवा पीढ़ी हताश हो रही है।बेरोजगारी के कारण युवा मानसिक तनाव और अवसाद का शिकार हो रहे हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में बेरोजगारी के कारण 12,000 से अधिक युवाओं ने आत्महत्या की।
इसके अलावा, युवाओं का मनोबल गिरने से अपराध दर बढ़ रही है। चोरी, लूट, और अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों में युवाओं की भागीदारी बढ़ी है।
देश के विकास के लिए युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना अनिवार्य है। सरकार को इस ओर कड़े कदम उठाने चाहिए जैसे कि सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों को शीघ्र भरना चाहिए।बड़े उद्योगों और MSMEs को बढ़ावा देने के लिए निवेश लाना चाहिए। युवाओं को स्वरोजगार के लिए वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण देना चाहिए।पाठ्यक्रम को उद्योग की मांगों के अनुसार बदलना चाहिए ताकि युवाओं को नौकरी के लिए बेहतर अवसर मिलें।
देश की युवा पीढ़ी, जो भविष्य का आधार है, यदि बेरोजगारी के कारण हताश हो रही है, तो यह हमारे देश के लिए दुर्भाग्य है। सरकारों को चाहिए कि वे धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों से ऊपर उठकर युवाओं के लिए ठोस रोजगार नीति बनाएं। रोजगार से जुड़ा हर प्रयास देश के विकास को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।
लेखक दैनिक यूथ इंडिया के मुख्य संपादक है।