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Monday, August 25, 2025

उत्तर प्रदेश बना खनन क्षेत्र में पारदर्शिता और तकनीक का राष्ट्रीय मॉडल: सीएम योगी

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  • खनिज राजस्व में रिकॉर्ड वृद्धि, कॉर्पोरेट जगत की बढ़ती रुचि, अवैध खनन पर सख्त कार्रवाई

लखनऊ| (संवाददाता) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश की एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को साकार करने में खनन क्षेत्र की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने रविवार को अपने सरकारी आवास पर आयोजित भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग की गहन समीक्षा बैठक में कहा कि राज्य की खनन नीति पारदर्शिता और तकनीकी दक्षता का नया मानक बन चुकी है। उन्होंने खनन निवेश में कॉर्पोरेट सेक्टर की बढ़ती रुचि और राजस्व में ऐतिहासिक वृद्धि को इस नीति की सफलता का प्रमाण बताया।

मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2025-26 के केवल पहले दो महीनों में ही राज्य को खनिज राजस्व के रूप में ₹623 करोड़ की प्राप्ति हुई है, जो 2024-25 के कुल ₹608.11 करोड़ से अधिक है। 2021-22 से 2024-25 तक खनिज राजस्व में औसतन 18.14% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है।

बैठक में अधिकारियों ने बताया कि जेएसडब्ल्यू, अडानी ग्रुप, टाटा स्टील और अल्ट्राटेक सीमेंट जैसी दिग्गज कंपनियां उत्तर प्रदेश के खनन क्षेत्र में निवेश को लेकर गंभीरता से विचार कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि कंपोजिट लाइसेंस प्रक्रिया को गति दी जाए और संभावित खनन क्षेत्रों की अग्रिम पहचान, भू-वैज्ञानिक रिपोर्ट और समयबद्ध नीलामी की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जाए।

मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि उत्तर प्रदेश को स्टेट माइनिंग रेडीनेस इंडेक्स (SMRI) में ‘कैटेगरी-A’ श्रेणी में लाने हेतु सभी आवश्यक सुधार कार्य समयसीमा में पूरे किए जाएं। उन्होंने कहा कि सभी खनन जिलों में माइन सर्विलांस सिस्टम 100% लागू हो चुका है और पर्यावरणीय स्वीकृतियों की प्रक्रिया में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

मुख्यमंत्री ने अवैध खनन पर सख्त कार्रवाई के निर्देश देते हुए कहा कि अब तक 21,477 वाहन ब्लैकलिस्ट किए जा चुके हैं। इसके अलावा 57 तकनीकी चेकगेट्स, व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (VTS), व्हाइट टैगिंग, कलर कोडिंग जैसे आधुनिक उपायों के जरिए खनन परिवहन की निगरानी की जा रही है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि नदी कैचमेंट क्षेत्र में किसी भी प्रकार की खनन गतिविधि पूर्णतः प्रतिबंधित है और इस नियम के उल्लंघन पर संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह भी आदेश दिए कि केवल मानक GPS युक्त वाहन ही खनिज परिवहन में लगाए जाएं, जिन्हें VTS से रीयल टाइम ट्रैक किया जाए।

ड्रोन सर्वेक्षण और पीजीआरएस तकनीक से अब तक 99 संभावित खनन क्षेत्रों की पहचान की गई है, जिनमें से 23 को खनन योग्य पाया गया है। मानसून उपरांत 52 क्षेत्रों में बालू/मौरंग के भंडारण का वैज्ञानिक मूल्यांकन किया गया है। वॉल्यूमेट्रिक एनालिसिस के ज़रिए खनन की मात्रा और प्रभाव का विश्लेषण किया जा रहा है।

समीक्षा बैठक में बताया गया कि 2024-25 में ईंट भट्ठों से ₹258.61 करोड़ और 2025-26 में अभी तक ₹70.80 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इस क्षेत्र में तकनीकी उन्नयन को बढ़ावा दिया जाए और संचालकों से संवाद कर नवाचार को प्रोत्साहित किया जाए।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि उपखनिज पट्टों के आवंटन की प्रक्रिया मानसून काल में पूरी कर ली जाए ताकि आगामी 15 अक्टूबर से खनन संचालन सुचारु रूप से प्रारंभ हो सके। साथ ही उन्होंने जिला खनन निधि (DMF) के समुचित उपयोग पर बल देते हुए कहा कि इसे आंगनबाड़ी केंद्रों, खेल मैदानों, स्वास्थ्य सुविधाओं, कौशल विकास और जल-संरक्षण जैसे कार्यों में प्राथमिकता से इस्तेमाल किया जा।

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश का खनन विभाग न सिर्फ पारदर्शिता और तकनीक के सहारे देश के लिए एक उदाहरण बन रहा है, बल्कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था, निवेश आकर्षण और सामाजिक विकास में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने यह भी दोहराया कि भविष्य की नीतियां “पर्यावरण संतुलन” और “विकास” के संतुलन के साथ बनाई जाएंगी।

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