शरद कटियार
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) ने बीते वर्षों में पर्यटन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। जहां घरेलू पर्यटन (tourism) के मामले में राज्य पहले पायदान पर पहुंच गया है, वहीं अब सरकार की निगाहें वैश्विक क्षितिज पर हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकताओं में शामिल पर्यटन को नई उड़ान देने के लिए पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह की अध्यक्षता में हाल ही में आयोजित स्थायी समिति की बैठक न केवल रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण रही, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि उत्तर प्रदेश अब केवल एक राज्य नहीं, बल्कि एक “ग्लोबल टूरिज्म ब्रांड” बनने की ओर अग्रसर है।
बैठक में विभिन्न जिलों से आए विधायकों ने यह स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश का हर क्षेत्र—चाहे वह बुंदेलखंड का वनक्षेत्र हो या पूर्वांचल की सांस्कृतिक विरासत, धार्मिक नगरी अयोध्या हो या नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर कुशीनगर—पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाएं समेटे हुए है। यह सुखद है कि पर्यटन विभाग इन विविधताओं को पहचान कर क्षेत्रीय विकास की योजना बना रहा है।
विधायकों द्वारा जल-आधारित पर्यटन, ईको-टूरिज्म, वेलनेस टूरिज्म, स्टोरी टेलिंग जैसे विचारों को प्रस्तुत करना यह दर्शाता है कि अब पर्यटन केवल भ्रमण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह रोजगार, सांस्कृतिक पुनर्जीवन और क्षेत्रीय विकास का माध्यम बनता जा रहा है।
सीएम फेलोशिप कार्यक्रम के तहत युवाओं को स्थानीय धार्मिक स्थलों पर शोध और जनसहभागिता जैसे विषयों पर कार्य करने का जो सुझाव दिया गया है, वह निश्चित ही भविष्य के लिए एक सॉफ्ट पावर मॉडल तैयार करेगा, जिसमें पर्यटन केवल भौगोलिक नहीं, बल्कि भावनात्मक, सांस्कृतिक और आर्थिक पुल की तरह कार्य करेगा।
पर्यटन नीति-2022 के अंतर्गत निवेश आकर्षित करने और विदेशी वेलनेस पर्यटकों को प्राकृतिक चिकित्सा केंद्रों से जोड़ने का प्रयास एक दूरदर्शी सोच का प्रमाण है। इससे उत्तर प्रदेश न केवल पर्यटन के मामले में आगे बढ़ेगा, बल्कि स्वास्थ्य और संस्कृति के संगम के रूप में भी दुनिया में अपनी विशेष पहचान बनाएगा।
अब समय आ गया है कि स्थानीय निकाय, आम जनता और प्रशासन मिलकर इस दिशा में ठोस प्रयास करें, ताकि उत्तर प्रदेश सच में “भारत का टूरिज्म हब” ही नहीं, बल्कि वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर एक चमकता हुआ सितारा बनकर उभरे।
शरद कटियार
ग्रुप एडिटर
यूथ इंडिया न्यूज ग्रुप