आगरा: उटंगन नदी (Uttang River) में डूबने की दर्दनाक घटना का सोमवार को घटनास्थल पर सीन दोहराया गया। हादसे के बाद बचाए गए विष्णु को मोटरबोट में बैठाकर जवान को नदी में चलवाया गया। जैसे-जैसे विष्णु बताता गया, जवान आगे बढ़ता गया। अचानक पानी का गहरा गड्ढा आने पर जवान के कदम थम गए — यही वह स्थान था, जहां अब तक आठ शव बरामद हो चुके हैं, जबकि चार की तलाश अभी भी जारी है।
घटना का यह पुनर्संयोजन प्रशासन और बचाव टीमों के लिए अहम साबित हुआ। विष्णु ने बताया कि मूर्ति विसर्जन के बाद पांच युवक पानी में आगे बढ़े और अचानक गहरे गड्ढे में समा गए। उन्हें बचाने गए सात और युवक भी उसी गहराई में फंस गए। विष्णु इस वजह से बच पाया क्योंकि उसने नदी की दीवार के पत्थर को पकड़ लिया था और गांव के एक युवक ने उसका हाथ खींच लिया।
सीन दोहराने के दौरान एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सेना की टीमों ने स्पष्ट किया कि यही गड्ढा युवकों की मौत का कारण बना। प्रशासन का बड़ा सवाल अब भी यही है — तीन से चार फीट गहरे पानी में इतना बड़ा हादसा कैसे हुआ?
इस बीच, राजस्थान सरकार की लापरवाही ने बचाव अभियान को और कठिन बना दिया। डीएम आगरा अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने पहले ही धौलपुर, भरतपुर और करौली के डीएम से उटंगन में पानी न छोड़ने का अनुरोध किया था, लेकिन धौलपुर प्रशासन ने पार्वती नदी से 2107 क्यूसेक पानी छोड़ दिया। इससे नदी का बहाव तेज हो गया और तलाशी अभियान प्रभावित हुआ।
स्थिति को संभालने के लिए आगरा प्रशासन ने अब राजस्थान के बांधों पर लेखपाल और तीन एसडीएम तैनात किए हैं, जो हर घंटे रिपोर्ट भेज रहे हैं। फिलहाल पानी का प्रवाह रोका गया है, लेकिन बढ़े जलस्तर ने बचाव कार्य को नए सिरे से चुनौती दी है।
सांसद राजकुमार चाहर ने कहा कि राजस्थान प्रशासन की लापरवाही के कारण अभियान में बाधा आई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री को इस संबंध में शिकायत भेजी जाएगी। अगर राजस्थान से पानी नहीं छोड़ा जाता, तो बचाव अभियान दो दिन में पूरा हो जाता। पाँच दिन बीत जाने के बाद भी लापता लोगों की तलाश जारी है।