नई दिल्ली: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की ट्रेंड एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडिया रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों (Urban Cooperative Banks) का प्रदर्शन मजबूत रहा। इस दौरान बैलेंस शीट का विस्तार, क्रेडिट ग्रोथ में तेज़ी, मुनाफ़े में सुधार, एसेट क्वॉलिटी में मजबूती और पूंजी आधार में वृद्धि जारी रही।
वित्त वर्ष 2025 में UCBs की कंसॉलिडेटेड बैलेंस शीट 4.4% बढ़ी, जो पिछले वर्ष के 4.0% से अधिक है। क्रेडिट ग्रोथ 6.7% तक पहुंची, जो पिछले छह वर्षों में सबसे उच्च स्तर है, और इसमें शेड्यूल्ड तथा नॉन-शेड्यूल्ड दोनों UCBs में सुधार नज़र आता है। डिपॉज़िट ग्रोथ FY24 के 4.1% से बढ़कर 5.2% हुई। यह मोमेंटम H1 FY26 में भी जारी रहा, जहां सितंबर 2025 तक डिपॉज़िट ग्रोथ 6.8% और क्रेडिट ग्रोथ 6.4% रही। क्रेडिट-डिपॉज़िट रेशियो 63.3% तक बढ़ा, जो बेहतर इंटरमीडिएशन एफिशिएंसी का संकेत देता है।
स्ट्रक्चरल तौर पर, सेक्टर लगातार कंसॉलिडेट हो रहा है। मार्च 2025 तक 1,457 UCBs ऑपरेशनल हैं, जिनमें टियर 1 बैंक की हिस्सेदारी 57.5% है। कुल मिलाकर, UCBs में डिपॉज़िट ₹5.84 लाख करोड़ और एडवांस ₹3.70 लाख करोड़ तक पहुंचे। टियर 3 और टियर 4 बैंक, संख्या में 6% से कम होने के बावजूद, कुल डिपॉज़िट, एडवांस और एसेट्स का आधा से अधिक हिस्सा नियंत्रित करते हैं, जो चार-स्तरीय रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत स्केल-लेड स्टेबिलिटी को दर्शाता है।
टियर-वाइज आंकड़ों के अनुसार –
• कुल 838 टियर 1 UCBs में ₹65,760 करोड़ डिपॉज़िट और ₹43,991 करोड़ एडवांस हैं।
• कुल 535 टियर 2 UCBs में ₹1.78 लाख करोड़ डिपॉज़िट और ₹1.10 लाख करोड़ एडवांस हैं।
• कुल 78 टियर 3 UCBs में ₹2.01 लाख करोड़ डिपॉज़िट और ₹1.23 लाख करोड़ एडवांस हैं।
• कुल 6 टियर 4 UCBs में ₹1.39 लाख करोड़ डिपॉज़िट और ₹93,542 करोड़ एडवांस हैं।
आंकड़े नियामकीय सुधार और कंसॉलिडेशन के समग्र प्रभाव को दर्शाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, UCBs ने अपनी बहु-वर्षीय रिकवरी FY25 में आगे बढ़ाई, जो बैलेंस शीट सुधार से स्थिर और व्यापक विकास की ओर बदलाव का संकेत है। इस दौरान मुनाफ़े में भी तेज़ सुधार देखा गया। वित्त वर्ष 2024 में 52% की वृद्धि के बाद वित्त वर्ष 2025 में शुद्ध लाभ में 14.2% की वृद्धि हुई, जो कम प्रावधान और बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता को दर्शाता है। इसका असर एसेट्स और इक्विटी पर रिटर्न में भी दिखता है, जो संरचनात्मक सुधार का संकेत है।
लगातार चौथे वर्ष एसेट क्वॉलिटी में सुधार देखा गया। मार्च 2025 तक ग्रॉस NPA रेशियो घटकर 6.2% हो गया, जो मार्च 2021 के 12.1% पीक का लगभग आधा है। नेट NPA 0.7% पर आई, जबकि प्राविजन कवरेज रेशियो 90.1% तक बढ़ा, जो बैलेंस शीट क्लीन-अप और हार्मोनाइज्ड प्राविजनिंग नियमों को दर्शाता है। GNPA में मौसमी उतार-चढ़ाव के बावजूद सितंबर 2025 तक यह 7.6% रह गया, जो पिछले वर्ष के 9.3% से कम है। पूंजीगत बफर मजबूत बना रहा; 92% से अधिक UCBs ने CRAR 12% से ऊपर बनाए रखा। मजबूत टियर 1 कैपिटल के कारण सेक्टर-व्यापी कैपिटल एडीक़्वेसी रेशियो 18.0% तक सुधर गया।
सेक्टर ने FY24 में 60% प्रायरिटी सेक्टर लेंडिंग (PSL) लक्ष्य पूरा किया, जिसमें माइक्रो एंटरप्राइजेज (7.5%) और कमजोर वर्ग (11.5%) के उप-लक्ष्य शामिल हैं। मार्च 2025 तक MSMEs ने UCBs के क्रेडिट में सबसे बड़ी हिस्सेदारी बनाए रखी, और सूक्ष्म उद्यमों को मिलने वाला क्रेडिट बढ़ा, जो छोटे ऋण लेने वालों के लिए बेहतर वित्तीय पहुंच का संकेत देता है।
कुल मिलाकर, वित्त वर्ष 2025 अर्बन कोऑपरेटिव बैंकिंग के लिए बैलेंस शीट सुधार से लेकर विकास-आधारित मजबूती तक का निर्णायक वर्ष रहा। नियामकीय स्पष्टता, कंसॉलिडेशन और वित्तीय संकेतकों में सुधार UCBs को भारत की औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में स्थिर और समुदाय-केंद्रित वित्तीय मध्यस्थ के रूप में स्थापित कर रहे हैं।
रिपोर्ट के निष्कर्षों पर श्री प्रभात चतुर्वेदी, सीईओ, नेशनल अर्बन कोऑपरेटिव फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NUCFDC), जो UCB सेक्टर की अम्ब्रेला ऑर्गनाइजेशन है, ने कहा, “रिपोर्ट में प्रकाशित आंकड़े UCB सेक्टर की बैलेंस शीट में लगातार सुधार को दर्शाते हैं। यह सेक्टर गवर्नेंस और कंप्लायंस पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करते हुए सतत विकास के पथ पर अग्रसर है। कई UCBs, जिनमें कुछ एक सदी से भी अधिक पुराने हैं, भारत की वित्तीय समावेशन संरचना का महत्वपूर्ण स्तंभ बने हुए हैं। नीति समर्थन जारी रहने पर UCB ईकोसिस्टम और मजबूत होगा, वित्तीय पहुंच बढ़ेगी और देश में धन का अधिक समान वितरण सुनिश्चित होगा।”


