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Wednesday, November 13, 2024

मांस निर्यात में अप्रत्याशित वृद्धि, भैंस के मीट की तेजी से बढ़ती मांग पर सरकार सतर्क

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश से भैंस के मीट (बफैलो मीट) के निर्यात में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे राज्य सरकार हरकत में आ गई है। पिछले कुछ वर्षों में मांस (Meat) निर्यात का स्तर दोगुना हो गया है, और इस वर्ष के केवल छह महीनों में ही 9,000 करोड़ रुपये का निर्यात हो चुका है। इन आंकड़ों ने अधिकारियों के कान खड़े कर दिए हैं, खासकर जब निर्यात में यूपी का हिस्सा 50.34 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जिससे संदेह पैदा हुआ है कि कहीं मानकों और नियमों का उल्लंघन तो नहीं हो रहा।

अधिकारियों पर गिरी गाज

भैंस के मांस के निर्यात में अनियमितताओं के चलते वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व चेयरमैन मनोज सिंह को हटाने के साथ दो वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित किया गया है। स्लाटर हाउसों को एनओसी जारी करने में धांधली और निर्धारित संख्या से अधिक पशुओं की कटाई की शिकायतें सामने आईं हैं। प्रमुख निर्यातकों में उन्नाव स्थित एओवी एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड, गाजियाबाद के अल नासिर स्लाटर हाउस, और अलहक फूड प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं, जिन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

यूपी में मांस (Meat) निर्यात की अभूतपूर्व वृद्धि

इस वित्त वर्ष में यूपी से अप्रैल से अगस्त तक 2.41 लाख किलो भैंस के मांस का निर्यात किया गया, जिसकी कुल कीमत 6,769 करोड़ रुपये है। पिछले वित्त वर्ष में कुल 7.36 लाख किलो मीट का निर्यात हुआ था, जिसकी कीमत करीब 17,682 करोड़ रुपये आंकी गई थी। उत्तर प्रदेश ने इस वृद्धि में आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल को भी पीछे छोड़ दिया है।

वित्तीय वर्षों के अनुसार मांस निर्यात

वित्त वर्ष  

निर्यात  

क्वांटिटी

23-24

17682 करोड़ 

 7,36,569 किलो

22-23

14203 करोड़

6,49,675 किलो

21-22  

13461 करोड़

6,47,247 किलो

18-19    

12830 करोड़

6,22,640 किलो

16-17

 9806 करोड़

 5,04,696 किलो     

 

शीर्ष मांस निर्यातक जिले

भारत में मांस निर्यात में यूपी के पाँच जिले शामिल हैं, जो प्रमुख निर्यातक हैं। इनमें अलीगढ़, गाजियाबाद, आगरा, मेरठ, और उन्नाव प्रमुख हैं। मुंबई और नई दिल्ली क्रमशः 39.94 प्रतिशत और 24.93 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ शीर्ष स्थान पर हैं।

बकरे के मांस का निर्यात सीमित

बकरे और भेड़ के मांस के निर्यात में यूपी का योगदान बेहद कम है। इस वित्त वर्ष के अप्रैल से अगस्त के बीच केवल 15 करोड़ रुपये का बकरे का मांस निर्यात हुआ, जो पिछले वर्ष के 38 करोड़ रुपये के निर्यात से भी कम है। स्लाटर हाउसों का झुकाव बकरे के मीट की ओर कम है, क्योंकि इसकी विदेशों में मांग और आर्थिक लाभ कम है।

इस अप्रत्याशित वृद्धि और अनियमितताओं को देखते हुए राज्य सरकार ने अधिकारियों पर सख्त कदम उठाए हैं और मानकों के पालन पर सख्ती बरत रही है।

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