त्योहारों पर सीएम योगी का सख्त संदेश — “शांति, सुरक्षा और सुशासन ही उत्तर प्रदेश की पहचान”

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त्तर प्रदेश में त्योहारों का मौसम नजदीक है। दीपावली, छठ, देव दीपावली और अयोध्या दीपोत्सव जैसे प्रमुख पर्व केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि प्रदेश की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता के प्रतीक हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के समस्त वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए जो संदेश दिया, वह केवल प्रशासनिक दिशा-निर्देश नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक प्रतिबद्धता और जनशक्ति का आह्वान है।

मुख्यमंत्री ने जिस दृढ़ता से “24×7 अलर्ट मोड” की आवश्यकता बताई, वह इस बात का संकेत है कि राज्य सरकार त्योहारों की भीड़भाड़ और भावनात्मक संवेदनशीलता को भली-भांति समझती है। यह वही उत्तर प्रदेश है जिसने पिछले वर्षों में रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, दुर्गा पूजा और दशहरा जैसे बड़े पर्व शांति और सौहार्द के वातावरण में मनाए हैं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि यह परंपरा अबाध रूप से जारी रहनी चाहिए।

त्योहारों के दौरान कानून-व्यवस्था को बनाए रखना जितना प्रशासन का दायित्व है, उतना ही समाज की जिम्मेदारी भी है। मुख्यमंत्री ने सही कहा कि एक छोटी सी लापरवाही भी बड़ा विवाद बन सकती है। इसलिए जरूरी है कि हर अधिकारी संवेदनशील इलाकों में विशेष सतर्कता रखे, पुलिस बल सक्रिय रहे और किसी भी घटना पर तत्काल उच्च अधिकारी मौके पर पहुंचे।

दीपावली के दौरान बाजारों में बढ़ती भीड़ को देखते हुए मुख्यमंत्री ने व्यापारियों की सुरक्षा और सुविधा पर भी विशेष ध्यान देने को कहा। यह संतुलित दृष्टिकोण दर्शाता है कि सरकार केवल कानून-व्यवस्था तक सीमित नहीं, बल्कि जनजीवन के हर पहलू पर चिंतन कर रही है। पटाखों की दुकानों की सुरक्षा, अग्निशमन की तैयारी, मिलावटखोरी पर नियंत्रण और विद्युत आपूर्ति की निरंतरता — यह सब प्रशासनिक दक्षता की परीक्षा है।

मुख्यमंत्री का यह निर्देश भी उल्लेखनीय है कि आगामी 12 अक्टूबर को लोक सेवा आयोग की परीक्षा के दौरान किसी प्रकार की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। छह लाख से अधिक युवाओं के भविष्य से जुड़ी इस परीक्षा की शुचिता बनाए रखना प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए। यह वही योगी आदित्यनाथ हैं जो युवाओं के परिश्रम और उम्मीदों की कद्र करते हैं।

त्योहार केवल पूजा और उत्सव का माध्यम नहीं, बल्कि “स्वच्छता और सुरक्षा” के मानकों पर समाज की परिपक्वता की परीक्षा भी हैं। मुख्यमंत्री का यह संदेश — कि छठ पर्व के घाटों की सफाई, जलाशयों की स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित किया जाए — सरकार की दूरदर्शी सोच को दर्शाता है।

अयोध्या दीपोत्सव और वाराणसी देव दीपावली जैसे आयोजन न केवल उत्तर प्रदेश की धार्मिक धरोहर हैं, बल्कि पूरे विश्व में राज्य की पहचान बन चुके हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री का यह कहना कि “क्राउड मैनेजमेंट और सेफ्टी प्लानिंग पहले से पूरी कर ली जाए”, अत्यंत आवश्यक और व्यावहारिक है।

मुख्यमंत्री का समापन वाक्य इस बैठक का सार प्रस्तुत करता है — “यह हर्ष और उल्लास का समय है। उपद्रव स्वीकार नहीं किया जा सकता। उत्तर प्रदेश की पहचान शांति, सुरक्षा और सुशासन है — इसे बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।”

दरअसल, यह वक्तव्य केवल प्रशासन के लिए नहीं, बल्कि हर नागरिक के लिए एक संदेश है — कि विकास और सौहार्द की राह पर आगे बढ़ते उत्तर प्रदेश में अब अराजकता की कोई जगह नहीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह निर्देशात्मक संवाद एक बार फिर यह साबित करता है कि शासन की प्राथमिकता अब सिर्फ त्योहार मनाना नहीं, बल्कि उसे शांति, स्वच्छता और सुरक्षा के साथ संपन्न कराना है — ताकि हर दीपक का प्रकाश “सुरक्षित और समृद्ध उत्तर प्रदेश” का प्रतीक बने।

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