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Thursday, September 19, 2024

स्वतंत्रता दिवस पर काशी विश्वनाथ मंदिर में ढाई लाख श्रद्धालुओं ने हाजिरी लगाई

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वाराणसी। 78वें स्वतंत्रता दिवस पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath) में लाखाें श्रद्धालुओं ने हाजिरी लगाई। दरबार में सुबह से ही बाबा के तिरंगा स्वरूप का झांकी दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का रेला उमड़ता रहा। मंदिर न्यास के अनुसार रात 09 बजे तक 2 लाख, 28 हजार, 943 श्रद्धालु दर्शन पूजन कर चुके थे। सावन माह में अब तक 45 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन पूजन कर चुके हैं। हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार कम श्रद्धालु दरबार में पहुंचे। पिछले वर्ष सावन के 24 दिनों में ही 70 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन पूजन कर चुके थे। मंदिर न्यास के अनुसार दरबार में शिवभक्तों के लिए पीने का पानी, हवा और बैठने के बेहतर इंतजाम किए गए हैं। सावन के पांचवें सोमवार पर बाबा विश्वनाथ सपरिवार झूले पर विराजमान होकर दर्शन देंगे।

बाबा के पंचबदन चल प्रतिमा का तिरंगा श्रृंगार व कजरी उत्सव

श्रावण पूर्णिमा पर श्री काशी विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) के झूलनोत्सव की पूर्व परंपरानुसार स्वतंत्रता दिवस पर टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास बाबा के पंचबदन रजत प्रतिमा के समक्ष कलाकारों ने कजरी की प्रस्तुति की। कजरी से पहले बाबा के पंचबदन प्रतिमा का पारंपरिक रूप से तिरंगा श्रृंगार किया गया। उपस्थित भक्तों ने भी कजरी और भजन गाए।

देर शाम तक चले गायन में झूला धीरे से झुलाऊं महादेव,गंगा किनारे पढ़ा हिंडोल, डमरूवाले औघड़दानी, झिर झिर बरसे सावन रस बूंदिया, कहनवा मानो ओ गौरा रानी, जय जय हे शिव परम पराक्रम ,तुम बिन शंकर आदि रचनाएं उदीयमान कलाकारों ने बाबा के चरणों में अर्पित कीं। इसमें मिर्जापुर के ध्रुव मिश्रा, संगीता पाण्डेय, अथर्व मिश्र, करूणा सिंह, सत्य प्रकाश पटेल, सूरज प्रसाद रहे।

महंत परिवार के अनुसार श्रावण पूर्णिमा (19 अगस्त) पर मंदिर (Kashi Vishwanath) की स्थापना काल से चली आ रही लोक परंपरा के अंतर्गत बाबा को माता पार्वती और भगवान गणेश के साथ झूले पर विराजमान कराया जाएगा। काशी विश्वनाथ मंदिर में झूलनोत्सव सायंकाल साढ़े पांच बजे के बाद आरंभ होगा। उससे पूर्व टेढ़ीनीम स्थित श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर बाबा विश्वनाथ की पंचबदन प्रतिमा का विधि-विधान पूर्वक पूजन अर्चन किया जाएगा।

पूजनोपरांत मंदिर के अर्चक और महंत परिवार के सदस्य बाबा की पंचबदन प्रतिमा को सिंहासन पर विराजमान करके टेढ़ीनीम से साक्षी विनायक, ढुंढिराजगणेश, अन्नपूर्णा मंदिर होते हुए विश्वनाथ मंदिर तक ले जाएंगे। इस दौरान बाबा का विग्रह श्वेत वस्त्र से ढंका रहेगा। मंदिर पहुंचने के बाद बाबा की पंचबदन प्रतिमा को माता पार्वती और गणेश के साथ पारंपरिक झूले पर विराजमान कराया जाएगा। दीक्षित मंत्र से पूजन के बाद सर्वप्रथम गोलोकवासी महंत डा.कुलपति तिवारी के पुत्र व महंत परिवार के सदस्य बाबा को झूला झुलाएंगे।

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