ज्वेलरी-टेक्सटाइल जैसे सेक्टर को ज्यादा नुकसान, एक्सपोर्ट हो सकता है आधा
नई दिल्ली: भारत (India) से America को भेजे जाने वाले इंजीनियरिंग उत्पादों पर अब पहले से ज्यादा शुल्क देना होगा। अमेरिका ने भारत से आने वाले सामानों पर 25 फीसदी टैरिफ (tariff) लागू कर दिया है, जबकि अतिरिक्त 25 फीसदी शुल्क 27 अगस्त से प्रभावी होगा। अभी तक भारतीय सामानों पर औसतन 10 से 15 फीसदी तक टैरिफ लगता था, लेकिन अब यह बढ़कर 30 फीसदी हो जाएगा। इस बढ़े हुए शुल्क का असर सीधे तौर पर भारतीय उत्पादों की कीमतों पर पड़ेगा और वे अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के फाउंडर अजय श्रीवास्तव का कहना है कि इस टैरिफ के कारण अमेरिका को होने वाले निर्यात में 40 से 50 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। हालांकि, भारतीय निर्यातकों का मानना है कि अमेरिका के अलावा भी उनके पास दुनिया भर के बाजार मौजूद हैं और वे वहां अपने व्यापार को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। ज्वेलरी जैसे कई क्षेत्रों में भारत का अमेरिका को निर्यात अब तक कम टैरिफ की वजह से बढ़ता रहा है, लेकिन नई नीति से इन क्षेत्रों पर भी असर दिख सकता है।
बताया जा रहा है कि भारत ने वर्ष 2024 में अमेरिका को 19.16 अरब डॉलर यानी करीब 1.68 लाख करोड़ रुपये के इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्यात किया था। इनमें स्टील प्रोडक्ट्स, मशीनरी, ऑटोमोटिव पार्ट्स, इलेक्ट्रिकल मशीनरी और अन्य औद्योगिक उपकरण शामिल थे। उस समय टैरिफ करीब 5 से 15 फीसदी के बीच था। अब यह बढ़कर 30 फीसदी तक पहुंच गया है। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई उत्पाद पहले अमेरिका में 100 डॉलर में बिकता था तो अब उसकी कीमत 130 डॉलर तक जा सकती है। इसका सीधा असर मांग पर पड़ेगा और अनुमान है कि निर्यात में 10 से 15 फीसदी तक की कमी आ सकती है।
इस बदलाव से भारत की बड़ी कंपनियां जैसे भारत फोर्ज, टाटा स्टील और एलएंडटी भी प्रभावित हो सकती हैं। लेकिन सबसे ज्यादा असर छोटे और मध्यम उद्यमों पर पड़ेगा जो इंजीनियरिंग उत्पादों के कुल निर्यात में लगभग 40 फीसदी का योगदान करते हैं। इससे बड़ी संख्या में नौकरियों पर भी संकट के बादल मंडरा सकते हैं।इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (EEPC) के चेयरमैन पंकज चड्ढा ने कहा है कि यदि अमेरिका अपनी योजना के मुताबिक स्टील, एल्युमिनियम और उनके डेरिवेटिव्स पर 50 फीसदी तक का टैरिफ लगाता है तो इन उत्पादों का निर्यात और भी महंगा हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि अभी हमें करीब तीन महीने इंतजार करना होगा ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके और उसके बाद कोई ठोस रणनीति बनाना संभव होगा। उन्होंने यह भी बताया कि टैरिफ बढ़ने की आशंका के चलते कई कंपनियों ने पहले से ही ज्यादा ऑर्डर ले लिए थे। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति भारत के लिए चुनौतीपूर्ण तो है लेकिन निर्यातकों के पास विकल्प भी हैं। यदि वे अन्य बाजारों की ओर ध्यान दें और अपनी रणनीति में बदलाव लाएं तो इस झटके से उबरना संभव है।
भारत ने 2024 में अमेरिका को 14 बिलियन डॉलर (करीब 1.23 लाख करोड़ रुपए) के इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्यात किया था। इसमें स्मार्टफोन, खासतौर पर आईफोन का बड़ा हिस्सा था। भारत अमेरिका का आईफोन का सबसे बड़ा सप्लायर है। अप्रैल में जब डोनाल्ड ट्रम्प ने पहली बार टैरिफ का ऐलान किया था उससे पहले इलेक्ट्रॉनिक्स पर एवरेज 0.41% का टैरिफ लगता था।