– बीते 10 वर्षों में जिन गुंडों को हमने कलम से बेनकाब किया क़ानून की जांच में वही कुख्यात और माफिया के रूप में साबित हुए
– एक-एक कर सभी पहुंचे सलाखों के पीछे बकाया भी जाएंगे उसी गंतव्य
शरद कटियार
सच्ची पत्रकारिता (True journalism) कोई सस्ती नहीं होती, इसके लिए सब कुछ दांव पर लगाना पड़ता है — सुख, चैन, नींद, संपत्ति, धन, यहां तक कि परिवार का सुकून भी। लेकिन जब रास्ता सच्चाई का हो, तो परमात्मा हर कदम पर साथ देता है। उसने हमें गिरने नहीं दिया, हमारे स्वाभिमान को टूटने नहीं दिया। और आज हम धर्म के खिलाफ सच्चाई की जंग जीतते आ रहे हैं और अंततः जीतेंगे भी।
हम शरद कटियार हैं — मां हिंदी के साधक, कलम को न्याय का हथियार बनाने वाले, और सच्चाई को धर्म मानकर कलम से अहिंसा का युद्ध लड़ने वाले। पत्रकारिता हमारे लिए पेशा नहीं, संघर्ष और साधना है। और हमें ना कभी कोई चुनाव लड़ना है ना हमें किसी पद की लालसा है और ना ही हम धन पशु बनने के पक्षधर हैं।
हमने अपने जीवन के 28 वर्षों को पत्रकारिता के नाम समर्पित किया है। हमने न किसी के दरवाजे पर शौक जताया, न किसी की झूठी महिमा गाई। हम अधिकारियों और नेताओं की दहलीज की चरण वंदना करने के भी कभी पक्षधर नहीं रहे, हां सही काम करने वालों का हमने मनोबल लीक से हटकर भी बढ़ाया और आगे भी बढ़ने का संकल्पित हैँ। ब्लैकमेलिंग, भय या झूठ हमारे सिद्धांतों में कभी नहीं रहे।
हमारे 23 वर्षों पुराने ‘यूथ इंडिया परिवार’ ने आज तक अपने दामन पर एक भी दाग नहीं लगने दिया — क्योंकि हम मानते हैं कि सच्चाई को न कोई खरीद सकता है, न दबा सकता है। हमने मां हिंदी की साधना की, निडर होकर सच्चाई लिखी, हमने अपनी कलम से अधर्म के खिलाफ और इंसानियत के लिए वो लड़ाइयाँ लड़ीं, जिन्हें बड़े-बड़े अधिकारी और नेता छूने से भी डरते थे। हमने सत्ता और सिस्टम से टकराकर गरीब, पीड़ित और शोषित जनता को न्याय दिलाने की कोशिश की। यही हमारी विचारधारा है, और यही हमारे संस्कार,यही हमारे उसूल।
हमारे लेखों ने अनेक बार माफिया, गुंडों और भ्रष्टाचारियों की जड़ें हिला दीं। हमने हर आतताई को कलम से चिन्हित किया,और सत्य की यह ज्वाला आज भी जल रही है। समाज के गुंडे माफिया और अपराधी हमारे विरोधी बन फर्जी मुकदमों से हमारा उत्पीड़न कर हमें गिराना चाहते रहे, हमारी जान लेने के लिए हमारे ऊपर हम लेकर आते रहे षड्यंत्र बनाते रहे, हम पर कीचड़ उछालते रहे। लेकिन उन्हें यह नहीं पता था, कि कीचड़ तभी उछलता है, जब सामने कोई पर्वत खड़ा हो।
हम पर्वत हैं, ईमान, धर्म और न्याय का पर्वत। और यह पर्वत झुकेगा नहीं। पत्रकारिता हमारे लिए धर्म है, पेशा नहीं,हमने हमेशा माना कि पत्रकारिता का अर्थ सत्ता की चाटुकारिता नहीं, बल्कि जनता की आवाज़ बनना है।
हमने धर्म के लिए लड़ा, अन्याय के खिलाफ लिखा, और सच बोलने की कीमत भी चुकाई। हमारी संपत्तियां या तो छीनी गई या बिकवाई गई। लेकिन हम आज भी राजाओं की तरह जिंदगी जीते, और आगे भी ऐसे ही जिएंगे,क्योंकि जनता हमारे साथ है,और जनार्दन को हम पर विश्वास है। यह हमारा गौरव है कि हमने कभी कलम बेची नहीं।
आज जब पत्रकारिता व्यावसायिकता की चकाचौंध में खो रही है, तब भी हम अपने धर्म, सत्य और स्वाभिमान की साधना में अडिग हैं। हम जानते हैं कि हमने इस राह में बहुत कुछ खोया है — लेकिन जो पाया है, वह अनमोल है — आत्मसम्मान और जनता का विश्वास, सबसे अहम परमात्मा का प्यार।
हम वही हैं, जो कलम से न्याय करनें का शौक रखते हैं,हमने इंसानियत से परायों को अपना बनाया, अपने लक्ष्य भटकते नये बच्चों को कभी न भटकने दिया ना गलत राह जाने दिया । हमारी कलम हमेशा पीड़ितों गरीबों और शोषितों की आवाज़ बनी, और हर पीड़ित के साथ खड़े रहे। हमारा संघर्ष जारी रहेगा, क्योंकि कलम हमारी ढाल है, और सत्य हमारा धर्म। सच्ची पत्रकारिता कभी हारती नहीं,वह समय के हर झूठ पर अमर रहती है।
🖋️
– शरद कटियार
मुख्य संपादक, यूथ इंडिया न्यूज़ ग्रुप
निदेशक, एस.एम.के. प्रकाशन प्रा. लि.
“ईमान की राह पर चलना कठिन है, लेकिन यही सच्ची विजय का मार्ग है।”


