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Sunday, July 20, 2025

कायमगंज में तंबाकू माफिया का सिंडिकेट सक्रिय! हनी अग्रवाल बना नया सरगना, लाखों की उगाही का नया रैकेट

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– प्रदीप यादव मोहरा बनकर कर रहा संचालन, छोटे व्यापारियों का सफाया, जीएसटी विभाग भी चुप!

फर्रुखाबाद/कायमगंज (यूथ इंडिया): कायमगंज का तंबाकू व्यापार एक बार फिर सुर्खियों में है। तंबाकू कारोबारी हनी अग्रवाल द्वारा सिंडिकेट संभाले जाने और माफिया ट्रांसपोर्टर प्रदीप यादव को मोहरा बनाकर करोड़ों की काली कमाई का रैकेट चलाने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि इस रैकेट के जरिए हर माह लाखों रुपये की टैक्स चोरी और अवैध उगाही की जा रही है।

छोटे व्यापारियों की ‘छुट्टी’, बाजार पर सिंडिकेट का कब्जा

स्थानीय व्यापारियों के मुताबिक, हनी अग्रवाल ने अपने करीबियों जुवैर और मुन्ना अग्रवाल के साथ मिलकर कायमगंज के तंबाकू व्यापार पर एकछत्र राज कायम कर लिया है। जो छोटे कारोबारी पहले खुले बाजार में काम करते थे, उन्हें या तो धमका कर व्यापार बंद करा दिया गया या फिर उनके माल की आपूर्ति रोक दी गई।

प्रदीप यादव, जो कि एक ट्रांसपोर्टर है, को इस पूरे रैकेट में ‘मोहरा’ बनाकर सामने रखा गया है। उसका काम है नकली बिल, ओवरलोडिंग और जीएसटी से बचने के तमाम रास्तों को अपनाकर माल की डिलीवरी को अंजाम देना। सूत्रों के अनुसार, हर माह 15–20 ट्रक माल बिना किसी वैध दस्तावेजों के विभिन्न जिलों में भेजा जा रहा है।

प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, सिंडिकेट हर माह औसतन 25 से 30 लाख रुपये की टैक्स चोरी करता है। यदि सालाना अनुमान लगाया जाए तो यह रकम तीन से साढ़े तीन करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।

स्थानीय व्यापारियों और सूत्रों का कहना है कि जिन व्यापारियों पर पहले टैक्स रेड की गई थी, वे आज इस सिंडिकेट से जुड़कर फिर से मालामाल हो चुके हैं। इससे सवाल उठने लगे हैं कि क्या जीएसटी विभाग भी इस रैकेट में मिलीभगत रखता है? अधिकारियों की आंखें इस पूरे काले खेल से मूंदी हुई हैं।

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, इस पूरे सिंडिकेट की गतिविधियों की जानकारी अब सरकार के उच्च स्तर तक पहुंच गई है। सूत्रों का यह भी दावा है कि जल्द ही इस मामले में जांच एजेंसियां सक्रिय हो सकती हैं।

कई छोटे व्यापारी इस रैकेट के दबाव में हैं और खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। हालांकि नाम न छापने की शर्त पर कुछ व्यापारियों ने बताया कि “हमारा व्यापार चौपट हो गया है। जो पहले समान्य कमाई करते थे, अब बाजार से बाहर हैं। कोई सुनवाई नहीं हो रही।”

प्रशासन और पुलिस भी इस पूरे मामले में निष्क्रिय दिखाई दे रही है। न तो किसी पर कार्रवाई हो रही है और न ही कोई गंभीर जांच।

कायमगंज में तंबाकू व्यापार अब व्यापार नहीं, बल्कि एक संगठित आपराधिक धंधा बनता जा रहा है, जिसमें रसूख, पैसा और राजनीतिक संरक्षण की ताकत शामिल दिख रही है। अगर समय रहते इस पर नकेल नहीं कसी गई, तो यह सिंडिकेट आने वाले समय में और भी बड़ा संकट बन सकता है।

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