लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में ढिलाई और जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने वाले अधिकारियों पर सख्त रुख अपनाते हुए तीन चिकित्साधिकारियों (medical officer) को तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त कर दिया है। राज्य के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक (Brijesh Pathak) ने यह कार्रवाई करते हुए कहा कि “सरकार की प्राथमिकता जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देना है, और इसमें लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, जिन चिकित्सकों को बर्खास्त किया गया है, वे लंबे समय से ड्यूटी से अनुपस्थित चल रहे थे। कई बार नोटिस और स्पष्टीकरण मांगे जाने के बावजूद उन्होंने विभागीय निर्देशों का पालन नहीं किया।
समसाबाद (फर्रुखाबाद) के CHC चिकित्साधिकारी
समसाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में तैनात चिकित्साधिकारी लगातार बिना सूचना अनुपस्थित चल रहे थे। स्थानीय प्रशासन से मिली शिकायतों की पुष्टि के बाद विभाग ने जांच कराई। जांच रिपोर्ट में लापरवाही और अनुशासनहीनता सिद्ध होने पर बर्खास्तगी की अनुशंसा की गई। दूसरे चिकित्साधिकारी, जो श्रावस्ती जिला अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ के पद पर तैनात थे, महीनों से कार्य से अनुपस्थित पाए गए।
शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में बाधा आने और मरीजों को समय पर उपचार न मिलने की शिकायतें बढ़ने पर विभाग ने इस पर संज्ञान लिया। डिप्टी सीएम ने स्वयं इस मामले की रिपोर्ट मांगी और तत्पश्चात बर्खास्तगी का आदेश जारी किया तीसरे चिकित्साधिकारी बाराबंकी के जाटा बरौली CHC में कार्यरत थे। विभागीय जांच में पाया गया कि वे लगातार गैरहाजिर चल रहे हैं और क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं ठप जैसी स्थिति में थीं। आदेश के अनुसार, इन्हें भी तत्काल प्रभाव से सेवा से मुक्त कर दिया गया है।
डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने इस कार्रवाई को लेकर कहा “जो चिकित्सक जनता की सेवा के प्रति ईमानदार नहीं हैं, उन्हें सिस्टम में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। यह सरकार सेवा भाव से कार्य करने वालों के साथ है, लेकिन लापरवाही और भ्रष्टाचार पर शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई जाएगी।” उन्होंने चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि आगे भी समीक्षा अभियान चलाया जाएगा, और जो अधिकारी या कर्मचारी ड्यूटी से गायब पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (CMO) और प्रमुख चिकित्सा अधीक्षकों (CMS) को निर्देशित किया है कि अपने-अपने जनपदों में नियमित निरीक्षण करें, और किसी भी डॉक्टर या स्टाफ की अनुपस्थिति की स्थिति में तुरंत रिपोर्ट शासन को भेजें। साथ ही, ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सकों की उपस्थिति और दवाओं की उपलब्धता की निगरानी के लिए डिजिटल उपस्थिति प्रणाली को और सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।
पिछले कुछ महीनों से स्वास्थ्य विभाग को ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकों की अनुपस्थिति, मरीजों को बिना इलाज लौटाने, और दवा वितरण में लापरवाही की लगातार शिकायतें मिल रही थीं। प्रदेश के कई जिलों में निरीक्षण के दौरान पाया गया कि स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर नदारद रहते हैं जबकि उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर दर्ज किए गए होते हैं।
सूत्रों के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्री ने सभी जिलों को स्पष्ट चेतावनी दी है कि “जनता की सेवा के लिए वेतन ले रहे कर्मचारी यदि गैरजिम्मेदार पाए गए तो सेवा समाप्ति की कार्रवाई से कोई नहीं बच सकेगा।” इस कार्रवाई से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है और अन्य चिकित्साधिकारी भी सतर्क हो गए हैं।


