लखनऊ: निजी अस्पतालों (private hospitals) में अप्रशिक्षित डॉक्टर (untrained doctor) और स्टाफ मरीजों का इलाज करते मिले तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। डीजी परिवार कल्याण ने इस संबंध में निगरानी के सख्त निर्देश जारी किए हैं और सीएमओ को अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। निर्देशों के अनुसार यदि किसी निजी अस्पताल (private hospitals) में एमबीबीएस डॉक्टर की जगह अन्य विधा के डॉक्टर इलाज करते पाए गए तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
राजधानी में करीब एक हजार निजी अस्पताल संचालित हैं, जिनमें अधिकांश अस्पतालों ने पंजीकरण और नवीनीकरण के समय फुल टाइम एमबीबीएस डॉक्टर की नियुक्ति दर्ज कराई है। हालांकि निरीक्षण में अक्सर देखा गया है कि आईसीयू और वेंटिलेटर यूनिट समेत अन्य विभागों में एमबीबीएस डॉक्टर की जगह अन्य विधा के डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। डीजी परिवार कल्याण ने कहा कि ऐसे मामलों की गंभीरता को देखते हुए निजी अस्पतालों का नियमित निरीक्षण किया जाएगा और कुशल डॉक्टर न मिलने पर संचालन पर रोक लगाई जा सकती है।
सीएमओ डॉ. एनबी सिंह ने कहा कि कमेटी बनाकर सभी निजी अस्पतालों की जांच कराई जाएगी। जांच में अगर एमबीबीएस डॉक्टर की अनुपस्थिति पाई गई तो अस्पताल को नोटिस जारी कर कार्रवाई की जाएगी। हाल ही में निगोहां दयालपुर के मजदूर शैलेंद्र कुमार की पत्नी प्रेमलता की पारस अस्पताल में मौत ने मामले की गंभीरता को उजागर किया। प्रसूता को आवश्यक सिजेरियन ऑपरेशन समय पर नहीं कराया गया, जबकि अल्ट्रासाउंड में बच्चे की स्थिति उल्टी और गर्दन में फंदा लगी पाई गई थी। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण प्रसूता को ब्लीडिंग हुई और हॉयर सेंटर पहुंचने से पहले उसकी मौत हो गई।