फर्रुखाबाद: अर्थशास्त्री पूर्व बैंक कर्मी मुकेश गुप्ता (Mukesh Gupta) ने आर बी आई की तिमाही मौद्रिक बैठक में लिए गये फैसले को विकास दर को मजबूती देने वाला बताया। गुप्ता ने कहा की भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति में जैसी कि इस बार लोगों को उम्मीद थी कि फिर दोबारा रेपो रेट (repo rate) में 0.25% की कमी की जाएगी ,लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने देश की आर्थिक स्थिति का पूर्ण अध्ययन करने के बाद इस बार अपनी मौद्रिक नीति में रेपो रेट में कोई भी बदलाव न करने का फैसला किया है।
जैसा कि पूर्वविदित है कि पिछली तीन बार लगातार आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति में रेपो रेट में कमी की थी, जिससे पहले से ही उपभोक्ताओं की उनके उपभोक्ता ऋण पर ईएमआई काफी कम हो चुकी थी जिससे उनकी इस ईएमआई के कम भुगतान करने से उनकी अतिरिक्त बचत हो रही थी जिसका उपयोग उपभोक्ता अपनी अन्य जरूरत की उपभोक्ता वस्तुओं को खरीदने में कर रहे थे ।इस प्रकार बाजार में मांग ज्यादा होने से उद्योगों को अपना उत्पादन बढ़ाना पड़ेगा।
उत्पादन ज्यादा बढ़ाने के लिए उन्हें ज्यादा मेन पावर की जरूरत पड़ेगी जिससे रोजगार के अवसरों में वृद्धि संभावित है। उन्होंने कहा कि इस बार जहां तक एक तरफ आरबीआई ने उपभोक्ताओं को रेपो रेट में कोई कमी न करके उन्हें कोई विशेष राहत नहीं पहुंचाई है क्योंकि वह पहले से ही कई मौद्रिक नीतियों में यह राहत रिजर्व बैंक द्वारा उनको दी जा चुकी थी ,तो दूसरी तरफ हमारे देश के वरिष्ठ नागरिकों को इससे इनडायरेक्ट वे में उनके रिटायरमेंट के बाद बैंक आदि में जमा फंड पर मिलने वाले ब्याज की राशि कम होने की संभावना को लगभग खत्म कर दिया गया है।
वैसे भी हमारे ज्यादातर वरिष्ठ नागरिक अपने रिटायरमेंट पर मिलने वाले फंड को बैंक में ही सुरक्षित जमा मानते हैं। अगर रेपो रेट में और कमी की जाती तो संभवत बैंकों में जमा डिपॉजिट पर भी मिलने वाले ब्याज की दरों में कमी की जा सकती थी। रिजर्व बैंक द्वारा वित्तीय वर्ष 2025 –26 के दौरान महंगाई के 3.1% पर रहने के अनुमान और देश में सामान्य से ज्यादा बेहतर मानसून होने की वजह से भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत की आर्थिक विकास दर भविष्य में मजबूत बने रहने की पूरी संभावना व्यक्त की है।