श्रीनगर: कश्मीर (Kashmir) के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Chief Minister Omar Abdullah) ने बुधवार को कहा कि 2019 में हुए संवैधानिक बदलावों के बाद से जम्मू-कश्मीर के हालात में कोई सुधार नहीं आया है। उमर ने कहा, कश्मीर की ज़मीनी हक़ीक़त आज भी जस की तस है। मौजूदा हालात के बारे में मैं क्या कह सकता हूँ? अगर दिल्ली में नहीं, तो यहाँ (कश्मीर में) तो ज़रूर है।
उमर ने कुलगाम में जम्मू-कश्मीर क्षेत्रीय व्यापार मेले का उद्घाटन करने के बाद पत्रकारों से कहा, जो ज़िले में बढ़ती उद्यमशीलता की भावना का जश्न मना रहा था। उन्होंने आगे कहा कि हिंसा में निर्दोष लोग अपनी जान गँवा रहे हैं। उन्होंने कहा, “कल, मैं नौगाम पुलिस स्टेशन विस्फोट में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करने पाँच जगहों पर गया था। आज, मैं दो और जगहों पर जा रहा हूँ।”
उमर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों से अगस्त 2019 के बाद रक्तपात समाप्त करने का वादा किया गया था, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। हम चाहते हैं कि यह (हिंसा) रुके। 30-35 सालों में, जम्मू-कश्मीर और खासकर कश्मीर ने बहुत रक्तपात देखा है। हमें बताया गया था कि 2019 के बाद यह रुक जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
उन्होंने क्षेत्र में सुरक्षा बनाए रखने के लिए ज़िम्मेदार लोगों पर भी सवाल उठाए और कहा कि राजनीतिक नेताओं को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने ज़ोर देकर कहा यह क्यों नहीं रुका? आपको उन लोगों से पूछना होगा जो हमारी सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार हैं। यह ज़िम्मेदारी हमारी नहीं है।


