फर्रुखाबाद। ब्लॉक कमालगंज स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय इन दिनों अपनी सबसे बदहाल अवस्था से गुजर रहा है। क्षेत्र के हजारों पशुपालकों के इलाज का एकमात्र सरकारी केंद्र आज प्रशासनिक उपेक्षा, संसाधनों की कमी और स्टाफ की अनुपलब्धता का जीवंत उदाहरण बन गया है। अस्पताल की तस्वीर इतनी दयनीय है कि यहां तैनात अकेले पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. राघवेंद्र सिंह के बाहर जाते ही अस्पताल का मुख्य द्वार सीधा ताले में बदल जाता है।
अस्पताल में न तो फार्मासिस्ट है, न चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी,पूरा सिस्टम एक डॉक्टर के कंधों पर लटका हुआ है। विडंबना यह है कि डॉक्टर राघवेंद्र को ब्लॉक की चार सरकारी गौशालाओं की भी जिम्मेदारी उठानी पड़ रही है, ऊपर से शासन द्वारा अन्य प्रशासनिक कार्यों की ड्यूटी अलग से थमा दी जाती है। नतीजा अस्पताल का दरवाजा भी किसी दिन खुलता है और किसी दिन नहीं।
इसी व्यवस्था को और बदहाल तब कर दिया गया जब डॉक्टर की सरकारी विभागीय गाड़ी भी कब्जा कर गैर विभागीय उपयोग में लगा दी गई, जिससे टीकाकरण, आपातकालीन उपचार और फील्ड विज़िट का पूरा सिस्टम बुरी तरह अस्त व्यस्त हो गया है।
शनिवार को तो हद ही हो गई डॉ. राघवेंद्र सिंह की कायमगंज विधानसभा में एसआईआर ड्यूटी लगा दी गई, जबकि कमालगंज अस्पताल में उनके अलावा एक भी कर्मचारी मौजूद नहीं है। सवाल यह कि बिना डॉक्टर और बिना स्टाफ के यह अस्पताल कब तक चलेगा, पशुपालकों की समस्याएं कौन सुनेगा,जब इस पूरे संदर्भ में डॉ. राघवेंद्र सिंह से बात की गई तो उन्होंने साफ कहा,
मेरे पास एक भी स्टाफ नहीं है, न फार्मासिस्ट, न चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी। विभागीय सरकारी गाड़ी भी मेरे पास नहीं है। जैसे तैसे अस्पताल और गौशालाओं का काम संभाल रहा हूं।
डॉक्टर के इस बयान ने अस्पताल की जमीनी सच्चाई को नग्न रूप में उजागर कर दिया है जहां एक डॉक्टर अकेला पूरा ब्लॉक संभालने की मजबूरी में काम चला रहा है।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी धीरज कुमार शर्मा भी मानते हैं कि विभाग की गाड़ी वास्तव में डॉक्टर की ही है, लेकिन प्रशासन ने किसी और को दे दी है। उनका कहना है कि वे जल्द गाड़ी वापस उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे। एसआईआर ड्यूटी के बारे में उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी के आदेश पर यह ड्यूटी लगाई गई है, संभवतः प्रशासन को यह जानकारी नहीं थी कि अस्पताल में डॉक्टर के अलावा कोई अन्य स्टाफ है ही नहीं।
ग्रामीणों का गुस्सा गहराता जा रहा है। लोगों का कहना है अस्पताल में न स्टाफ, डॉक्टर भी सरकार की ड्यूटी में गायब तो हमारे बीमार पशुओं का इलाज कौन करेगा,कमालगंज का पशु चिकित्सालय आज सरकारी सिस्टम की जड़ता और विभागीय अनदेखी का सच्चा प्रतीक बन चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों के पशु अस्पताल कब तक ऐसी लापरवाही की भेंट चढ़ते रहेंगे यह बड़ा सवाल प्रशासन के सामने खड़ा है।






