तीमारदार स्वयं बोतल हाथ में लेकर अपने मरीज को लेकर पहुंचा वार्ड, पीछे चल रहा था डीएम का काफिला
संदीप सक्सेना
फर्रुखाबाद: जहां एक ओर डॉ. राम मनोहर लोहिया चिकित्सालय (Lohia hospital) में बड़े अधिकारियों के दौरे से पहले व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद कर देने का दावा किया जाता है, वहीं मंगलवार को जिलाधिकारी (DM) आशुतोष द्विवेदी के निरीक्षण ने अस्पताल की जमीनी हकीकत की पोल खोलकर रख दी। निरीक्षण के दौरान का एक दृश्य जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया—एक मरीज अपनी मासूम बेटी को खुद गोद में उठाकर पैदल वार्ड की ओर ले जा रहा था, और उसी के हाथ में ग्लूकोज़ की बोतल भी टंगी हुई थी। यह सब उस समय घटित हो रहा था जब ठीक पीछे जिलाधिकारी और उनका काफिला अस्पताल की व्यवस्थाओं का जायज़ा लेने में व्यस्त था।
इस पूरे घटनाक्रम की तस्वीर कैमरे में कैद हो गई, जो लोहिया अस्पताल की “व्यवस्थाओं की सच्चाई” बयां करती है। यह दृश्य यह साबित करता है कि अस्पताल में न तो स्ट्रेचर की व्यवस्था ठीक है, न ही स्टाफ की तत्परता। जहां एक ओर अधिकारी मंच और होर्डिंग्स पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे, वहीं ज़मीनी सच्चाई कुछ और ही बयान कर रही थी।
यह पहली बार नहीं है जब लोहिया अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवाल उठे हों। अक्सर जब कोई मंत्री, अधिकारी या वीआईपी आने वाले होते हैं, तो कुछ घंटों के लिए व्यवस्थाएं सज-धज जाती हैं। लेकिन आम मरीजों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाएं—जैसे स्ट्रेचर, अटेंडेंट की मदद, समय पर इलाज—अब भी बदहाल हैं।


