नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज सोमवार को जी. सरवन कुमार द्वारा हाईकोर्ट जज (High Court judge) के तौर पर अपनी नियुक्ति की मांग वाली एक विचित्र याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और इसे “व्यवस्था का मज़ाक” बताया। यह मामला पहली बार भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन की पीठ के समक्ष आया।
पीठ ने याचिका पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए सवाल किया कि क्या याचिकाकर्ता को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट उनके अनुरोध पर कॉलेजियम की बैठक बुलाएगा। मुख्य न्यायाधीश गवई ने टिप्पणी की “क्या आप चाहते हैं कि हम इस न्यायालय के पहले तीन न्यायाधीशों को यहां बुलाएँ और अभी कॉलेजियम की बैठक करें? आप व्यवस्था का मज़ाक उड़ा रहे हैं!”
न्यायालय ने आगे संकेत दिया कि वह याचिकाकर्ता पर ऐसी तुच्छ याचिका दायर करने के लिए जुर्माना लगा सकता है। “हमने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति से संबंधित याचिकाओं पर कब सुनवाई की है? इसकी लागत कितनी होगी?” मुख्य न्यायाधीश ने पूछा। न्यायालय की कड़ी टिप्पणियों का सामना करते हुए, याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। हालाँकि, मुख्य न्यायाधीश ने एक कदम आगे बढ़कर सुझाव दिया कि ऐसी याचिकाएँ दायर करना एक वकील के लिए अनुचित है।
“ऐसी याचिकाएँ दायर करने के लिए सनद (वकालत का लाइसेंस) वापस ले लिया जाना चाहिए,” मुख्य न्यायाधीश ने खुली अदालत में कहा। अंततः न्यायालय की अनुमति से याचिका वापस ले ली गई। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट, 2021 के विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर भी विचार किया।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जज के रूप में नियुक्ति की मांग करने वाले व्यक्ति को फटकार लगाते हुए कहा, “क्या आप चाहते हैं कि हम अभी कॉलेजियम की बैठक करें?” “क्या आप चाहते हैं कि हम इस अदालत के पहले तीन जजों को यहाँ बुलाएँ और अभी कॉलेजियम की बैठक करें?” मुख्य न्यायाधीश गवई ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा।


