– बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष शिरीष मेहरोत्रा से यूथ इंडिया की विशेष बातचीत — बोले, ‘हमने राजनीति नहीं, सेवा का व्रत लिया है’
लखनऊ: बार काउंसिल उत्तर प्रदेश (Bar Council Uttar Pradesh) के चल रहे चुनाव में दमदारी से लड़ रहे काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष और लोकप्रिय सदस्य शिरीष मल्होत्रा (Shirish Mehrotra) इन दिनों एक बार फिर चुनाव मैदान में है और पूरे दमखम के साथ अधिवक्ताओं को न्याय दिलाने की बात कह रहे हैं एक मुलाकात में उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश – प्रश्न (शरद कटियार):मेहरोत्रा जी, आप लगातार अधिवक्ता समाज के बीच चर्चा में हैं। क्या वजह है कि इस बार भी चुनाव में आपके प्रति इतना उत्साह देखा जा रहा है?
उत्तर:देखिए, अधिवक्ता समाज किसी व्यक्ति से नहीं, उसके कर्मों से जुड़ता है। जब मैं बार काउंसिल का अध्यक्ष था, तब मेरा हर निर्णय अधिवक्ताओं के हित में था। चाहे बात पेंशन की हो, चिकित्सीय सहायता की या किसी साथी पर हो रहे उत्पीड़न की — मैंने हमेशा अग्रिम पंक्ति में रहकर लड़ाई लड़ी। शायद यही वजह है कि आज प्रदेश की हर तहसील, हर कचहरी से स्नेह और समर्थन मिल रहा है।
प्रश्न:आपके कार्यकाल को अधिवक्ताओं के “स्वर्णकाल” के रूप में याद किया जाता है। किन उपलब्धियों को आप अपनी सबसे बड़ी सफलता मानते हैं?
उत्तर:मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि यही रही कि मैंने अधिवक्ताओं के सम्मान को सर्वोपरि रखा। हमने तत्काल सहायता कोष को सक्रिय किया, अधिवक्ता कल्याण निधि की पारदर्शिता सुनिश्चित की और पेंशन स्कीम पर ठोस कदम बढ़ाए। हमने युवा अधिवक्ताओं के लिए वेलफेयर कार्यक्रम शुरू किए और हर बार की तरह मैंने यह सुनिश्चित किया कि अधिवक्ता को किसी दफ्तर के चक्कर न काटने पड़ें। प्रश्न:अधिवक्ताओं के सामने आज भी कई समस्याएं हैं — आय अस्थिरता, बीमा, सुरक्षा आदि।
आपके एजेंडे में इन मुद्दों को लेकर क्या योजनाएं हैं?
उत्तर:बहुत स्पष्ट कहूँ तो मेरा पूरा चुनावी एजेंडा “अधिवक्ता हित पहले” की नीति पर आधारित है।अधिवक्ता पेंशन योजना का विस्तार और सरल प्रक्रिया।सभी पंजीकृत अधिवक्ताओं के लिए बीमा कवर।जिला व तहसील स्तर पर अधिवक्ता सुविधा केंद्र।युवा अधिवक्ताओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ने की व्यवस्था।और सबसे अहम — अधिवक्ता उत्पीड़न के मामलों में “फास्ट एक्शन सेल” की स्थापना। इन सब योजनाओं को मैं अपने अनुभव और अधिवक्ता साथियों के सहयोग से लागू करूंगा। प्रश्न:रूहेलखंड क्षेत्र विशेष रूप से आपका गढ़ माना जा रहा है। पुवायां जैसी बड़ी तहसीलों से जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। इसे आप कैसे देखते हैं?
उत्तर:यह मेरे लिए गर्व का विषय है कि रूहेलखंड के साथियों ने मुझे स्नेह दिया। पुवायां तहसील के 422 अधिवक्ताओं ने प्रथम वरीयता वोट का भरोसा जताया है, यह मेरे लिए सम्मान ही नहीं बल्कि जिम्मेदारी भी है। मैं इसे एहसान नहीं, अधिवक्ता समाज के प्रति अपने कर्तव्य के रूप में देखता हूँ।
प्रश्न:राजनीति और संगठन — दोनों को आप कैसे संतुलित करते हैं?
उत्तर:मेरे लिए यह कभी राजनीति नहीं रही, यह सेवा का मार्ग है। बार काउंसिल का पद कोई राजनीतिक मंच नहीं, बल्कि न्याय की भावना को जमीनी स्तर तक पहुंचाने का माध्यम है। मैं पद नहीं, दायित्व निभाने आया हूँ।
प्रश्न:आप अधिवक्ताओं के बीच जो विश्वास पैदा करते हैं, उसका रहस्य क्या है?
उत्तर:सिर्फ एक — विश्वास और उपलब्धता। मैंने कभी फोन बंद नहीं किया, कभी किसी साथी को “कल आना” नहीं कहा। चाहे बरेली का हो या बलिया का — जब भी किसी अधिवक्ता को मदद चाहिए होती है, मैं तत्पर रहता हूँ। यही संबंध मुझे आज फिर मैदान में उतार रहा है।
प्रश्न (शरद कटियार):अंत में, “यूथ इंडिया” के माध्यम से अपने अधिवक्ता साथियों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
उत्तर (मुस्कराते हुए): मेरा बस यही कहना है — यह चुनाव किसी व्यक्ति का नहीं, अधिवक्ता समाज की अस्मिता का है। आइए, हम सब मिलकर एक ऐसे बार काउंसिल का निर्माण करें जो हर अधिवक्ता को न्याय, सम्मान और सुरक्षा दे। मैं हर साथी का आभारी हूँ और वचन देता हूँ कि जैसा भरोसा आपने पहले किया, उसे फिर पूरी निष्ठा से निभाऊँगा। श्री मेहरोत्रा के आत्मविश्वास और ईमानदार दृष्टिकोण से यह स्पष्ट है कि अधिवक्ता समाज में अब भी वह भरोसेमंद चेहरा बने हुए हैं। उनके अनुभव, सादगी और संघर्षशील नेतृत्व ने उन्हें बार राजनीति का सच्चा जननेता बना दिया है।


