प्रयागराज। महाकुंभ 2025 के दौरान संगम के जल की शुद्धता ने वैज्ञानिक समुदाय को भी चौंका दिया है। हैदराबाद, अंडमान, तमिलनाडु से लेकर अमेरिका, इटली, कनाडा और स्विट्जरलैंड तक गंगाजल को शोध और धार्मिक उद्देश्यों के लिए ले जाया गया है।
गंगा जल की शुद्धता और इसके वैज्ञानिक गुणों को लेकर दुनियाभर के शोधकर्ता रुचि ले रहे हैं। पद्मश्री वैज्ञानिकों से इसकी विशेषताओं को समझने के लिए विज्ञान जगत में चर्चाएं हो रही हैं। करोड़ों रिसर्च पेपर और जर्नल प्रकाशित करने वाला एकेडमिया भी इस पर क्वेरी कर रहा है।
भारत के बाद अमेरिका में मां गंगा को लेकर सबसे अधिक उत्सुकता देखी जा रही है। यूट्यूब पर गंगा जल के वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिससे यह एक तरह का स्टेटस सिंबल बन गया है। लोग गंगा जल के साथ फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं।
66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के संगम स्नान के बावजूद व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित रही। विदेशी विशेषज्ञ और मीडिया इस बात से हैरान हैं कि इतनी विशाल जनसंख्या के लिए बिना किसी असुविधा के स्नान की व्यवस्था कैसे की गई। कई विदेशी विशेषज्ञ यूपी सरकार की योजना और प्रबंधन पर रिसर्च कर रहे हैं।
चीन के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत में इतना बड़ा आयोजन किस तरह सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, इस पर विदेशी मीडिया रिपोर्ट प्रकाशित कर रहा है। अमेरिका और यूरोप के विश्वविद्यालयों में कुंभ प्रबंधन और गंगा की शुद्धता पर शोध की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
गंगा जल की शुद्धता और महाकुंभ के अभूतपूर्व प्रबंधन पर दुनियाभर के वैज्ञानिक और शोधकर्ता कर रहे हैं अध्ययन!