अशोक भाटिया , मुंबई
2024 के लोकसभा चुनाव में अयोध्या लोकसभा सीट भाजपा के हाथ से निकल जाने का जितना मलाल पार्टी को रहा , उससे ज्यादा ये लोगों के बीच चर्चा का मुद्दा बना हुआ रहा । सोशल मीडिया पर लगातार इस बारे में कोई न कोई कमेंट या बहस देखने को मिलती रही है। लोग तरह तरह की बातें करते रहे हैं। राम मंदिर बना दिया गया। सालों से तंबू में रखे गए भगवान राम को भव्य मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया। फैजाबाद जिले का नाम अयोध्या कर दिया गया। मंडल भी अयोध्या बना दिया गया। फैजाबाद रेलवे स्टेशन अयोध्या छावनी बना दिया गया। अयोध्या स्टेशन पर यात्रियों के ठहरने के बेहतरीन इंतजाम किए गए। अयोध्या शहर का कायाकल्प भी किया गया। चौक चौराहे सजाए गए। छोटी मोटी दुकानों को तोड़, सलीके से व्यावसायिक कांप्लेक्स तमीर कर दिए गए। मंदिर बनने के बाद रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु भी अयोध्या आने लगे। शहर के आस पास बहुत सारे ओयो रूम और दूसरे होटल भी खुल गए। फिर भी आने वालों को जगह मिलने में दिक्कतें आ रही थी। उनकी संख्या जो इतनी ज्यादा थी कि सबके लिए व्यवस्था हो पाना कठिन था। इस सब से लोगों में खुशी थी। साफ दिख रहा है कि देश भर में अयोध्या जी और भगवान राम के प्रति श्रद्धा है।
लेकिन मूल बात है कि अयोध्या के लोगों को मंदिर की व्यवस्था से परेशानियों से जूझना पड़ रहा था । मंदिर में दर्शन की बात की जाय तो चुनाव तक मंदिर में लगातार वीआईपी दर्शनार्थियों का आना लगा रहा। इस दौरान प्रशासन सुरक्षा के नाम पर ऐसा इंतजाम करता रहा कि लोगों का मंदिर के आस पास जाना दूभर हो जाता था। कहा जा सकता है कि दिक्कतों के कारण बहुसे अयोध्या – फैजाबाद के लोग मंदिर दर्शन करने जा ही नहीं सके। मंदिर के आस पास जो भी स्कूल और अस्पताल वगैरह है वहां जाने आने में रोज लोगों को मुसीबतों से दो चार होना पड़ा । बताया जा रहा है कि बोर्ड की परीक्षाओं के दौरान एक दिन ऐसा भी आया जब किसी बहुत महत्वपूर्ण राजनेता के आने के कारण बच्चों को परीक्षा देने जाने में भारी मुसीबत हो गई थी। लग रहा था कि उनकी परीक्षा ही छूट जाएगी। इलाके के लोगों ने डीएम से संपर्क किया और तब किसी तरह बच्चे परीक्षा में शामिल हो पाए। याद रखने की जरुरत है कि अलग अलग राज्यों के विधायक झुंड बना कर दर्शन के लिए चुनाव तक पहुंचते रहे थे । उत्तरप्रदेश के विधान सभा अध्यक्ष भी सारे विधायकों को लेकर श्रीराम के दर्शन के लिए पहुंचे थे। इसके साथ ही भूमि अधिग्रहण के दौरान मंदिर के आस पास की दुकानों को तोड़ कर हटाया गया। ये लोकल लोगों में नाराजगी का एक बड़ा सबब बना। क्योंकि जिन्हें विस्थापित किया गया, उन्हें कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स में महंगी कीमतों पर दुकाने खरीदने को मजबूर होना पड़ा। मंदिर चाहिए तो भोजन भी। भोजन यानी रोजगार।पर अब बताया जाता है कि इन सब समस्याओं को दूर कर दिया गया है यानी अब व्यवस्था भी सुधर गई है व रोजगार के अवसर भी ।
अब इस लोकसभा सीट के अन्तरगत आने वाली विधानसभा सीट मिल्कीपुर पर उपचुनाव होने जा रहा है । मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव 5 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के साथ होने जा रहा है । मुकाबला सपा और भाजपा के बीच ही होगा। मिल्कीपुर सीट लगातार सपा ही जीतती रही है। पिछली बार समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने यह सीट जीती थी। लोकसभा चुनाव में सपा ने अवधेश प्रसाद को ही अयोध्या से उतार दिया। अवधेश प्रसाद ने जीत हासिल की और मिल्कीपुर विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। अवधेश प्रसाद के अयोध्या की लोकसभा सीट जीतने और भाजपा के हारने से पूरे देश में यह सीट चर्चा का विषय बन गई। सपा ने भी इसे खूब भुनाया भी। अवधेश प्रसाद को अखिलेश ने लोकसभा में अपने साथ सबसे आगे बैठाया। यही नहीं मिल्कीपुर सीट से अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को प्रत्याशी भी घोषित कर दिया था।
लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में मिल्कीपुर समेत कुल 10 सीटें रिक्त हुई थीं। महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव के ऐलान के साथ ही यूपी की दस में से नौ सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हुआ लेकिन मिल्कीपुर का चुनाव टाल दिया गया। 10 में से 9 सीटों पर नवंबर 2024 में उपचुनाव हुए थे जिसमें भाजपा और इसकी सहयोगी आरएलडी ने 7 सीटें जीती थीं, जबकि सपा के खाते में दो सीटें आई थीं। सपा नेता अवधेश प्रसाद के 2024 में लोकसभा में जाने से मिल्कीपुर विधानसभा सीट खाली हुई। साल 2022 में अवधेश प्रसाद ने मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी। भाजपा अयोध्या में हुए नुकसान की भरपाई करने की चुनौती का सामना कर रही है और उसने योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की अगुवाई में शीर्ष नेताओं को प्रचार में उतारने की तैयारी की है।
अयोध्या में भाजपा के प्रवक्ता रजनीश सिंह ने बताया कि मिल्कीपुर का उपचुनाव, हार का बदला लेने का मैदान होगा। सिंह के अनुसार मुख्यमंत्री स्वयं इस चुनाव का प्रबंधन कर रहे हैं, इसलिए हारने का कोई सवाल नहीं है। दूसरी ओर, सपा कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार है। अयोध्या में सपा के जिला अध्यक्ष पारसनाथ यादव ने कहा ,‘‘ यह सही है कि हम सरकार के खिलाफ लड़ रहे हैं। भाजपा ने इस उपचुनाव को जीतने के लिए पूरा सरकारी तंत्र लगा दिया है लेकिन मिल्कीपुर के लोग हमारे साथ हैं। हम अंतिम सीमा तक मेहनत से लड़ेंगे और निश्चित तौर पर यह सीट जीतेंगे।’’भाजपा सूत्रों ने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने मिल्कीपुर में भाजपा के प्रचार की देखरेख के लिए मंत्री सूर्य प्रताप साही की अगुवाई में छह मंत्रियों को लगाया है।इनमें जल संसाधन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, सहकारिता राज्यमंत्री जेपीएस राठौड़, आयुष मंत्री दयाशंकर सिंह, राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह और सतीश शर्मा शामिल हैं। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक भी प्रचार अभियान में सक्रिय रूप से हिस्सा लेंगे।
इसमें कोई शक नहीं कि पिछले दस वर्षों में अयोध्या का अभूतपूर्व विकास हुआ है। देश के सभी हिस्सों से जोड़ने वाली ट्रेनें, भव्य रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा पर अयोध्या के स्थानीय निवासियों को उनकी जमीनों का मुआवजा देने में भी राज्य सरकार ने भेदभाव किया। सरकार ने विकास कार्यों के लिए जमीन अधिगृहीत की किंतु बदले में किसी को अधिक पैसे मिले किसी को कम। फैजाबाद के भाजपा सांसद लल्लू सिंह और भाजपा विधायक वेद प्रकाश गुप्ता ने जनता की गुहार नहीं सुनी। नतीजा यह हुआ कि लोगों को सपा के विधायक अवधेश प्रसाद पसंद आए, जो लोकसभा जीतने के पहले वे मिल्कीपुर (सुरक्षित) से विधायक थे। सपा ने यहां एक बड़ा प्रयोग किया। सामान्य श्रेणी की इस सीट से दलित समुदाय (पासी) के अवधेश प्रसाद को लड़ाया और वे जीत गए। इस तरह अयोध्या में लल्लू हारे और अवधेश जीते। अवधेश शब्द राजा राम का पर्यायवाची है।
कांग्रेस-सपा के जिस गठबंधन को 2017 में नहीं चल पाया था, वह गठबंधन 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में जमकर वोट बटोरे थे । उत्तर प्रदेश के जानकारों के मुताबिक इस चुनाव में मुस्लिम वोट ने एकजुट होकर इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान किया। संविधान और आरक्षण बचाने के मुद्दे को हवा देकर इंडिया गठबंधन ने भाजपा के कोर हिंदू वोट बैंक को भी बांट दिया। अब इंडिया गठबंधन में दरार पड़ चुकी है । दिल्ली विधानसभा चुनाव में तो यह दरार और चौड़ी हो गई है । अब चूँकि सपा ने हाल में किसी भी चुनाव में कांग्रेस का सपोर्ट नहीं किया है व दिल्ली चुनाव में वह कांग्रेस का सपोर्ट न कर आम आदमी पार्टी का सपोर्ट कर रहीं है तो उत्तर प्रदेश उपचुनाव में कांग्रेस का साथ भी नहीं मिलेगा ।