लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर जनता का पुलिस (Police) प्रशासन से भरोसा लगातार घटता जा रहा है। भ्रष्टाचार, विवेचना में मनमानी, उच्चाधिकारियों की चुप्पी, आईजीआरएस (इंटीग्रेटेड ग्रीवेंस रिड्रेसल सिस्टम) के फर्जी निस्तारण और स्मार्ट पुलिसिंग के प्रति उदासीनता ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। आम लोगों का आरोप है कि बिना पैसे के पुलिस कोई काम नहीं करती, जिससे न्याय की उम्मीदें धूमिल होती जा रही हैं।
जनता का आरोप है कि पुलिसिंग व्यवस्था में भ्रष्टाचार हावी हो गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, योगी सरकार के कार्यकाल में अब तक कई सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेजे जा चुके हैं, जिनमें कई पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। हालांकि, इससे हालात सुधरने की बजाय बदतर होते दिख रहे हैं।
मुकदमों की विवेचना में पुलिसकर्मियों द्वारा मनमानी करने और उच्चाधिकारियों द्वारा कोई ठोस कार्रवाई न करने की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। पीड़ित पक्ष को न्याय नहीं मिल पा रहा, जबकि आरोपी पक्ष से सांठगांठ के आरोप भी सामने आते रहे हैं।
राज्य सरकार ने शिकायतों के निस्तारण के लिए आईजीआरएस पोर्टल शुरू किया था, लेकिन अब इस पर भी सवाल उठने लगे हैं। कई शिकायतों को बिना समाधान किए ही निस्तारित दिखा दिया जाता है। हाल ही में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने आईजीआरएस के फर्जी निस्तारण मामलों पर सख्त रुख अपनाने के निर्देश दिए थे।
प्रदेश में स्मार्ट पुलिसिंग के दावे तो किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। हाल ही में बरेली जोन में एडीजी रमित शर्मा ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पीआरओ ‘जारविस’ की शुरुआत की, जो जनता को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करेगा।
लेकिन कई थानों में आज भी स्मार्ट पुलिसिंग के नाम पर कुछ नहीं हो रहा। अपराध रोकथाम के लिए सीसीटीवी कैमरे और डिजिटल मॉनिटरिंग जैसे कदमों की अनदेखी की जा रही है।
जनता के बीच बढ़ती नाराजगी के बावजूद जनप्रतिनिधि और अधिकारी मौन साधे हुए हैं। लोगों का कहना है कि थाने में बिना सिफारिश और पैसे के कोई काम नहीं होता। ऐसे में पुलिस प्रशासन की छवि लगातार गिर रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिसिंग में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। आईजीआरएस शिकायत प्रणाली को प्रभावी बनाना, भ्रष्ट पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई और स्मार्ट पुलिसिंग को जमीनी स्तर पर लागू करना जरूरी है। वरना आने वाले समय में जनता और पुलिस के बीच की खाई और गहरी हो सकती है।