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Monday, October 27, 2025

अपर काशी की धरती पर ब्राह्मण समाज का गौरव और संघर्ष, ज्ञान और संस्कारों की जीवित परंपरा रहे

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– अनुपम दुबे, अवधेश मिश्रा जैसे गुंडों ने जरूर गौरव गाथा को कलंकित करने का किया दुत्साहस
✍️ शरद कटियार

उत्तर प्रदेश के हृदय में बसा जनपद फर्रुखाबाद, (Farrukhabad) जिसे प्राचीन ग्रंथों में “अपर काशी” (Upper Kashi) के नाम से भी जाना जाता है, सदियों से विद्या, संस्कृति और राष्ट्रभक्ति का केंद्र रहा है। यह धरती उन ब्राह्मण विभूतियों की कर्मभूमि रही है जिन्होंने अपने ज्ञान, त्याग, नेतृत्व और राष्ट्रप्रेम से न केवल जनपद बल्कि पूरे देश का गौरव बढ़ाया।

संघर्ष से शिखर तक — फर्रुखाबाद के ब्राह्मण नायक

स्वतंत्रता संग्राम में फर्रुखाबाद के ब्राह्मण समाज की भूमिका अविस्मरणीय रही है।
महान क्रांतिकारी पंडित रामनारायण आज़ाद ने ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिला दी थी। उनके अदम्य साहस ने यह सिद्ध कर दिया कि यह धरती केवल संतों और विद्वानों की ही नहीं, बल्कि देशभक्तों की भी जननी है।

स्वर्गीय पंडित मूलचंद दुबे, जो तीन बार सांसद रहे, ने संसद में फर्रुखाबाद की आवाज़ बुलंद की।
वहीं स्वर्गीय ब्रह्मदत्त अवस्थी और स्वर्गीय ब्रह्मद द्विवेदी जैसे प्रखर नेता न केवल राजनीतिक बुद्धिमत्ता के प्रतीक रहे, बल्कि उन्होंने ब्राह्मण समाज की गरिमा को नई ऊँचाइयाँ दीं।

शिक्षा के प्रणेता — ज्ञान की ज्योति जलाने वाले महामानव

फर्रुखाबाद की शैक्षिक पहचान ब्राह्मण समाज की देन है। भारतीय पाठशाला के संस्थापक दादा चंद्रशेखर शुक्ला ने ग्रामीण और शहरी परिवेश में शिक्षा की मशाल जलाई। पंडित बद्री विशाल दुबे, जिन्होंने बद्री विशाल डिग्री कॉलेज की स्थापना की, ने शिक्षा को आमजन तक पहुंचाने का जो अभियान चलाया, वह आज भी प्रेरणा स्रोत है।

आज फर्रुखाबाद की राजनीति में ब्राह्मण समाज की निरंतर उपस्थिति और नेतृत्व का प्रतिनिधित्व लोकप्रिय सदर विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी कर रहे हैं, जो लगातार दूसरी बार जनता के विश्वास का प्रतीक बने हुए हैं। उनका कार्यकाल जनसरोकार, राष्ट्रवाद और सेवा भावना की मिसाल है। ब्राह्मण समाज केवल राजनीति नहीं, बल्कि साहित्य और चिंतन के क्षेत्र में भी अग्रणी रहा है।

राष्ट्रवादी कवि शिव ओम “अंवर”,
डॉ. ओमप्रकाश मिश्रा ‘कंचन’,
डॉ. संतोष पांडे,
ब्राह्मण समाज के जिलाध्यक्ष रमेश चंद्र त्रिपाठी, और डॉ. अरुण प्रकाश तिवारी ‘ददुआ’ जैसी विभूतियाँ समाज को विचार और संस्कार की शक्ति प्रदान करती रहीं।

सच्चाई का दर्पण — समाज में कलंक बने नाम

जहाँ एक ओर ब्राह्मण समाज ने देश और जनपद को महान व्यक्तित्व दिए, वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों ने अपने कर्मों से इस गौरव को धूमिल करने का प्रयास किया। कुख्यात अपराधी डॉ. अनुपम दुबे और उसके परिजनों, तथा कचहरी के चर्चित वकील अवधेश मिश्रा जैसे नामों ने समाज की मर्यादा को ठेस पहुँचाई है। किंतु यह भी उतना ही सत्य है कि ब्राह्मण समाज ने सदैव ऐसे तत्वों को अस्वीकार किया है और अपनी शुद्ध सांस्कृतिक परंपरा को अक्षुण्ण बनाए रखा है।
फर्रुखाबाद का ब्राह्मण समाज सदा से त्याग, सेवा और विद्या का उपासक रहा है। चाहे स्वतंत्रता संग्राम हो या सामाजिक जागरण, ब्राह्मणों ने अपनी लेखनी, बुद्धि और परिश्रम से देश के उत्थान में अमिट योगदान दिया है। अपर काशी की यह पावन भूमि आज भी साक्षी है उस ब्राह्मण तेज की, जिसने अंधकार को ज्ञान में बदला और अन्याय को सत्य के प्रकाश में विलीन कर दिया।

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