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Thursday, April 17, 2025

संभल जामा मस्जिद का बदला नाम, ASI ने रखा ‘जुमा मस्जिद’

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संभल। यूपी की संभल जामा मस्जिद के बाहर अब नया बोर्ड लगने वाला है। इसमें मस्जिद का नाम बदला गया है। संभल में ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद को लेकर बड़ा बदलाव सामने आया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अब इस संरक्षित स्मारक का नाम बदल दिया है। मस्जिद को अब “जुमा मस्जिद” के नाम से पहचाना जाएगा। इसके लिए नीले रंग का नया बोर्ड तैयार हो गया है। जल्द ही इसे लगाया जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक, एएसआई की टीम शीघ्र ही मस्जिद के बाहर यह बोर्ड लगाएगी। बोर्ड पर लिखा गया है – भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संरक्षित स्मारक, जुमा मस्जिद, संभल। यह बोर्ड वर्तमान में मस्जिद के पास बनी पुलिस चौकी में रखा गया है।

एएसआई अधिकारियों का कहना है कि स्मारक की ऐतिहासिक पहचान को स्पष्ट करने के लिए यह कदम उठाया गया है। नीले रंग के बोर्ड से न सिर्फ एएसआई की निगरानी स्पष्ट होती है, बल्कि आम जनता को भी जानकारी मिलती है कि यह स्थल एक संरक्षित धरोहर है। बोर्ड पर नया नाम जुमा मस्जिद अंकित किया गया है, जबकि पहले इसे शाही जामा मस्जिद कहा जाता था। इस बदलाव के साथ अब यह विवादित स्थल पूरी तरह एएसआई की निगरानी में रहेगा।

498 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक धरोहर है मस्जिद

संभल में जामा मस्जिद पुरातत्व विभाग के अनुसार 498 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक धरोहर है। इसकी निगरानी भी 104 वर्ष से पुरातत्व विभाग की ओर से की जा रही है। लगातार टीम सर्वे करने के लिए भी आती है। बिना अनुमति के कोई कार्य किया नहीं जा सकता है। संभल जामा मस्जिद का उल्लेख बाबर नामा में मिलता है। 1526 में मीर बेग ने इस मस्जिद का निर्माण कराया था। बाबर के आदेश पर इसका निर्माण किया गया था। उस समय बाबर ने हुमायूं को संभल जागीर दी थी। हालांकि बाद में हुमायूं के बीमार होने के बाद वह संभल जागीर से लौट गया था।

वहीं दूसरी ओर हिंदू पक्ष का वाद में कहना है कि मंदिर को खंडित कर मस्जिद का निर्माण किया गया। उस समय बाबर के इशारे पर ऐसा किया गया। आइन ए अकबरी में भी इस मस्जिद का उल्लेख किया गया है।

भगवान कल्कि का अवतार संभल में होगा, स्कंद पुराण में है उल्लेख

स्कंद पुराण हिन्दू धर्म के अठारह प्रमुख पुराणों में सबसे बड़ा पुराण है। इस पुराण में उल्लेख है कि कलियुग में भगवान कल्कि का अवतार संभल में होगा। मंडलीय गजेटियर 1913 में भगवान विष्णु के प्रसिद्ध मंदिर होने का भी जिक्र है। इसमें मोहल्ला कोटपूर्वी के नजदीक दर्शाया गया है। साथ ही उल्लेख किया गया है कि अब मंदिर अस्तित्व में नहीं है। वाद में गजेटियर का भी उल्लेख किया गया है।

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