– यादव समाज के कथावाचक के साथ ब्राह्मण समाज के लोगों ने की मारपीट, नाक रगड़वाने जैसी घृणित हरकत
इटावा (अहेरीपुर)। उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के अहेरीपुर क्षेत्र से जातीय अहंकार और वैमनस्यता की एक शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसने न केवल सामाजिक सौहार्द को चोट पहुंचाई है बल्कि संविधान प्रदत्त समानता के अधिकार को भी चुनौती दी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यादव समाज के एक कथावाचक धार्मिक आयोजन में कथा वाचन कर रहे थे। तभी कुछ स्थानीय ब्राह्मण समाज के लोगों को यह जानकारी मिली कि कथावाचक यादव समुदाय से हैं। इस बात से नाराज होकर उन्होंने कथावाचक के साथ अभद्रता की, मारपीट की, जबरन उनका सिर मुंडवा दिया और नाक जमीन में रगड़वाकर सार्वजनिक अपमान किया।
यह घटना जितनी अमानवीय है, उतनी ही दुर्भाग्यपूर्ण भी। धार्मिक आयोजनों में भागीदारी, प्रवचन या कथा वाचन किसी जाति-धर्म या वर्ग विशेष का अधिकार नहीं है, बल्कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता का हिस्सा है।
यह घटना कई गंभीर प्रश्न खड़े करती है —
क्या आज भी हमारा समाज जातिगत श्रेष्ठता के भ्रम में जी रहा है?
क्या कोई व्यक्ति सिर्फ इसलिए धर्म का प्रचार नहीं कर सकता क्योंकि वह किसी “मानी गई ऊँची जाति” से नहीं है?
क्या यह सीधा-सीधा मानवाधिकारों का उल्लंघन और सामाजिक उत्पीड़न नहीं है?
इस घटना की पूरे देश में घोर निंदा होनी चाहिए। यह एक संवेदनशील और जातिगत आधार पर विभाजित समाज की भयावह तस्वीर पेश करती है।
लोगों ने मांग की कि,
दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी हो।
पीड़ित कथावाचक को सुरक्षा दी जाए।
SC-ST एक्ट और IPC की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर न्यायिक कार्रवाई की जाए। धार्मिक आयोजनों में जाति आधारित प्रतिबंध की मानसिकता पर रोक लगाने हेतु जनजागरण अभियान चलाया जाए।
इस अपमानजनक घटना के बाद संभावना है कि यादव समाज और अन्य दलित-पिछड़ा संगठनों में आक्रोश फैल सकता है। यदि प्रशासन ने समय रहते कार्रवाई नहीं की, तो यह मामला सामाजिक तनाव का रूप ले सकता है।