अयोध्या: आज ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक डॉ. मोहनराव भागवत ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर विधिवत मंत्रोच्चार के साथ धर्मध्वजा (Dharmadhwaja) का पुनर्स्थापन किया। इस दौरान उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास भी मौजूद रहे।
ध्वजारोहण से पहले प्रधानमंत्री ने सप्त मंदिर, शेषावतार मंदिर और माता अन्नपूर्णा मंदिर में दर्शन-पूजन किया। इसके बाद रामलला के गर्भगृह में पूजा-अर्चना की गई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि गर्भगृह की अनंत ऊर्जा और श्रीराम परिवार का दिव्य प्रताप अब धर्मध्वजा के रूप में प्रतिष्ठित हुआ है।
उन्होंने कहा,“यह केवल एक ध्वज नहीं, भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज है। इस पर अंकित सूर्यवंश का चिन्ह, ऊँ शब्द और कोविदार वृक्ष रामराज्य की कीर्ति को दर्शाते हैं।” प्रधानमंत्री ने इसे सदियों पुराने स्वप्न, संतों की तपस्या और समाज की सहभागिता का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि आने वाली सदियों तक यह ध्वजा सत्य, मर्यादा, धर्म और कर्तव्य का संदेश देता रहेगा।
सरसंघ चालक डॉ. भागवत ने कहा कि यह दिन उन लोगों को समर्पित है जिन्होंने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए अपना जीवन समर्पित किया। उन्होंने कहा—“हमारा ध्येय ऐसा भारत बनाना है जो पूरी दुनिया को ज्ञान, सत्य, विकास और सुफल प्रदान करे।” मुख्यमंत्री ने इस समारोह को 140 करोड़ भारतीयों की आस्था और आत्मगौरव का उत्सव बताया।
उन्होंने कहा—“अयोध्या आज उत्सवों की वैश्विक राजधानी बन रही है। राम पथ, भक्ति पथ, पंचकोसी और चौरासी कोसी परिक्रमा श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान कर रही है।” योगी ने कहा कि 2014 के बाद से भारत ने विरासत व विकास दोनों में अभूतपूर्व आगे बढ़त की है। उन्होंने इसे रामराज्य के आधुनिक रूप की शुरुआत बताया।


