धम्मालोको बुद्ध विहार में हुआ अभिनंदन, स्तूप पर दीपोत्सव जैसा दृश्य
संकिसा (फर्रुखाबाद): भिक्खु चन्दिमा थेरो के नेतृत्व में सारनाथ से संकिसा (Sarnath to Sankisa) तक निकली भिक्खु महासंघ की विशाल धम्म यात्रा (Dhamma Yatra) का भव्य समापन धम्मालोको बुद्ध विहार में हुआ। धम्मालोको बुद्ध विहार सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष कर्मवीर शाक्य, प्रबंधक राहुल कुशवाहा एडवोकेट, उप-प्रबंधक रघुवीर शाक्य, वरिष्ठ ट्रस्टी सरदार सिंह शाक्य, ट्रस्टी अशोक मौर्य, मीडिया प्रभारी आनंद भान शाक्य, प्रधान लहौरे शाक्य सहित भंते धम्मकीर्ति व अन्य भिक्षुओं तथा सैकड़ों बौद्ध अनुयायियों ने फूल भेंट कर, पुष्पवर्षा करते हुए भिक्खु चन्दिमा थेरो का जोरदार स्वागत-अभिनंदन किया।
यहां से धम्म यात्रा संस्था स्तूप के लिए रवाना हुई। मार्ग में महासमता बुद्ध विहार एवं पुस्तकालय के प्रभारी भंते चेतसिक बोधि, भंते नागसेन सहित अन्य बुद्ध विहारों पर भी यात्रा का हर्षोल्लासपूर्वक स्वागत किया गया। पंचशील ध्वजों के साथ सैकड़ों उपासकों का समूह यात्रा के पीछे उमड़ पड़ा। स्तूप पहुंचने पर भिक्षुओं व उपासकों ने स्तूप की परिक्रमा की। भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष मोमबत्ती-अगरबत्ती प्रज्वलित कर विधिवत पूजा की गई। कार्यक्रम का संचालन संकिसा भिक्षु संघ के अध्यक्ष डॉ. धम्मपाल थैरो ने किया। महाम्यार बुद्ध विहार के प्रमुख डॉ. एस. नंद महास्थविर ने धर्मदेशना में कहा कि आज के कार्यक्रम में शामिल होना बड़ा पुण्य है, ऐसे अवसर बार-बार नहीं मिलते। उन्होंने बहुजन हिताय, सभी के मंगल और शांति की कामना की।
धम्म यात्रा के संयोजक भिक्खु चन्दिमा थेरो ने कहा कि स्तूप पर पूजन स्थल की व्यवस्था अत्यंत सराहनीय रही। उन्होंने भंते चेतसिक बोधि की व्यवस्थाओं की प्रशंसा करते हुए बताया कि भिक्षुओं के लिए चोखा की दावत, खीर तथा दीप प्रज्वलन की व्यवस्था उपासकों द्वारा की गई है। इसके बाद फोटो सेशन का आयोजन हुआ। स्तूप के निकट पहली बार भिक्षुओं के पूजन हेतु ऐतिहासिक व सुविधाजनक व्यवस्था की गई। पूजन स्थल के सामने भगवान बुद्ध की एक बड़ी व एक छोटी प्रतिमा स्थापित की गई। भिक्षुओं के बैठने के लिए गद्दे-चादरें तथा उपासकों के लिए कुर्सियां और सोफे लगाए गए। व्यवस्था देखकर भिक्षुगण व अनुयायी चकित रह गए।
पूजन कार्यक्रम के दौरान दो भिक्षुओं द्वारा स्तूप पर पंचशील ध्वज फहराया गया। यह दृश्य देखकर बौद्ध अनुयायियों में उत्साह देखा गया। उल्लेखनीय है कि दशकों से स्तूप पर पंचशील ध्वज फहराने पर प्रतिबंध है, वहीं बिसारी देवी मंदिर पर केसरिया ध्वज लगाने पर भी रोक है। शांति व्यवस्था के लिए सीओ कायमगंज व मेरापुर थाने की पुलिस फोर्स तैनात रही।
पूजन के दौरान स्तूप से गणेश, हनुमान आदि की पुरानी मूर्तियां पीछे फेंके जाने की घटना सामने आई, जिससे पुलिस में हड़कंप मच गया। सूचना पर अपर पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह मौके पर पहुंचे और जांच की। पुलिस के अनुसार फेंकी गई मूर्तियों को उसी स्थान पर पुनः रखवा दिया गया। सीसीटीवी फुटेज में कुछ नाबालिग भिक्षु दिखाई दिए। बिसारी देवी मंदिर के पुजारी कुलदीप गिरी ने बताया कि मंदिर के निकट पुरानी मूर्तियां रखी थीं। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
मेरापुर थानाध्यक्ष राजीव पांडेय ने स्पष्ट किया कि मूर्तियां फेंके जाने की बात गलत है, फोटो खिंचवाने के दौरान पुरानी मूर्तियां हटाई गई थीं, जिन्हें वापस रखवा दिया गया। संकिसा मुक्ति संघर्ष समिति के संयोजक कर्मवीर शाक्य ने कहा कि चीवर पहनकर स्तूप पर पंचशील ध्वज फहराने वाले लोग भगवान बुद्ध के धम्म के शत्रु हैं। यह निंदनीय कृत्य है और इसमें खुश होने की कोई बात नहीं है।
सायं काल में स्तूप परिसर में दीप प्रज्वलन और परित्राण पाठ से दीपोत्सव जैसा माहौल बन गया। भिक्खु चन्दिमा थेरो, डॉ. धम्मपाल थैरो, भंते चेतसिक बोधि, भंते नागसेन सहित सैकड़ों लोगों ने जलती मोमबत्तियों के साथ स्तूप की परिक्रमा की। डॉ. धम्मपाल थेरो ने बताया कि लखनऊ के उपासक विजय बौद्ध द्वारा 3 हजार दीपक सरसों के तेल से जलवाए गए, जिससे परिसर भव्य हो उठा। किसी अनहोनी की आशंका को देखते हुए पुलिस ने कार्यक्रम शीघ्र समापन की सलाह दी।


