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Sunday, July 20, 2025

मजारों, मदरसों पर द्वेषपूर्ण कार्रवाई से सरकार ने कोर्ट में मुंहकी खायी: मायावती

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– मायावती ने मुस्लिम कार्ड खेला
– सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना जरूरी है।

लखनऊ: पार्टी कमेटी गठन के कार्य के लिए ज़मीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं की पूरी सक्रियता ज़रूरी है ताकि उस दौरान स्थानीय लोगों से भी मिलकर सरकारी उपेक्षा व उदासीनता के कारण उनकी विभिन्न समस्याओं से अवगत हुआ जाये जिससे उत्तराखण्ड (Uttarakhand) राज्य की दुखी व त्रस्त जनता को लगे कि उनके दुखों में उनका कोई साथी है तथा जिसकी सरकार (government) बनने पर ’सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’ की नीति के तहत् उन सबको न्याय ज़रूर मिल पाएगा। मायावती (Mayawati) ने उत्तराखण्ड राज्य में बसपा को मजबूती देने के लिए मुस्लिम कार्ड भी बखूबी चलने के साथ,पार्टी के दिये गये कार्यों की गहन समीक्षा तथा आगामी विधानसभा आमचुनाव को ध्यान में रखकर कार्यकर्ताओं को यह निर्देश दिये।

उन्होंने कार्यकर्ताओं मे जोश भरते हुए कहा कि ख़ासकर उत्तर प्रदेश,पंजाब,उत्तराखण्ड स्टेट में भी पार्टी के मिशनरी, जुझारू व युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें कमेटी में उचित सम्मान देकर संगठन की मज़बूती व जनाधार को सर्वसमाज में बढाना चाहिए। फीडबैक के अनुसार उत्तराखण्ड सरकार भी भाजपा शसित अन्य राज्यों की तरह ही महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी दूर करने तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी आदि की उचित व्यवस्था करने का चुनावी वादा व आश्वासन नहीं पूरा कर पाने अर्थात् जनहित के ख़ास मुद्दों पर सरकार की विफलताओं पर से लोगों को ध्यान बाँटने के लिए ही अधिकतर धर्म की आड़ में संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति करती रहती है, जिससे लोगों के लिए सुख,शन्ति व समृद्धि का मार्ग बाधित होता है।

लगातार हो रही दुर्घटनाओं में लोगों के हताहत होने की ख़बरों आदि से भी यही लगता है कि सरकार जनहित के वास्तविक मुद्दांे पर सही से ध्यान नहीं दे पा रही है। कानून व्यवस्था की स्थिति भी काफी लचर है तथा राजनीतिक प्रवृत्ति वाले अपराध की घटनाओं से भी उत्तराखण्ड निगेटिव चर्चा में रहा है। मज़ारों के विध्वंस तथा मदरसों को बंद कराने के विरुद्ध जब मामला माननीय कोर्ट में पहँुचा तो वहाँ कोर्ट में सरकार सही साबित नहीं हो पायी।

इसीलिए राज्य सरकार को ऐसे द्वेष व पक्षपातपूर्ण रवैयों पर अंकुश लगाना जरूरी है तथा अधिकारियों को इस प्रकार की मनमानी करने की खुली छूट नहीं दे तो बेहतर। बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर व मान्यवर कांशीराम के कारवाँ को आगे बढ़़ाने के लिए सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना जरूरी है।

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