राजा महेन्द्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से जुड़े कालेजों में 3,500 से अधिक एससी/एसटी छात्र-छात्राएं प्रभावित, समाज कल्याण विभाग पर लापरवाही का आरोप
लखनऊ | (संवाददाता) उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ स्थित राजा महेन्द्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से सम्बद्ध जिलों के अनेक महाविद्यालयों में अध्ययनरत अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के हजारों छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति न मिलने के कारण उनके शिक्षण भविष्य पर संकट मंडराने लगा है। इस गम्भीर मुद्दे पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे दलित विद्यार्थियों के साथ अन्याय और घोर प्रशासनिक लापरवाही करार दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, विश्वविद्यालय प्रशासन और सम्बद्ध जिलों के अधिकारियों द्वारा छात्रवृत्ति न मिलने के मामले में कई बार समाज कल्याण विभाग, लखनऊ को पत्राचार किया गया, लेकिन विभाग की असंवेदनशीलता और ढिलाई के कारण अब तक कोई सार्थक हल नहीं निकल पाया है। इसका सीधा असर लगभग 3,500 दलित विद्यार्थियों पर पड़ा है, जिनके पास अब शिक्षा छोड़ने की नौबत आ गई है।
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि इस स्थिति से हजारों दलित परिवारों में गहरी पीड़ा और आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने यह भी कहा कि जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से ही यह विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया, तो अब उनकी नैतिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी बनती है कि वे स्वयं हस्तक्षेप करके इस संकट का तत्काल समाधान करें।
शिक्षाविदों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह सिर्फ छात्रवृत्ति का मामला नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समान अवसर के संवैधानिक अधिकार का भी उल्लंघन है। यदि समय पर छात्रवृत्ति नहीं मिलती है, तो वंचित वर्ग के छात्रों के लिए उच्च शिक्षा एक सपना मात्र रह जाएगी।
बसपा की ओर से राज्य सरकार से यह भी मांग की गई है कि समाज कल्याण विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए और भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही को रोकने के लिए प्रभावी तंत्र विकसित किया जाए।