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Tuesday, June 17, 2025

ईमानदार पुलिस का कारनामा: रंजिशन निर्दोषों को फंसाने का आरोप

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– पीड़ितों ने एसपी से लगाई न्याय की गुहार
-फतेहगढ़ में फर्जी मुकदमे, रिश्वतखोरी और पुलिस की मिलीभगत का आरोप

फर्रुखाबाद: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM yogi) की “ईमानदार पुलिस” (honest police officer) की छवि को एक बार फिर गहरा धक्का पहुंचा है। जिले की फतेहगढ़ कोतवाली (Fatehgarh Kotwali) क्षेत्र में पुलिस पर रंजिशन निर्दोष युवकों को झूठे मुकदमे में फंसाने, पैसों की मांग करने और पूर्व फायरिंग घटना की जांच में पक्षपात करने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। मामले में पीड़ित पक्ष ने फर्रुखाबाद (Farrukhabad) के पुलिस अधीक्षक (एसपी) से मिलकर जांच अधिकारी बदलने और निष्पक्ष जांच की मांग की है।

भोलेपुर निवासी माया देवी और वंदना तोमर ने शिकायती पत्र के माध्यम से बताया कि फतेहगढ़ निवासी अमित कटियार और विनय कटियार पर पुलिस हमला करने का आरोप लगाया गया, जबकि घटना के समय दोनों युवक बाजार में मौजूद थे। इसका सीसीटीवी फुटेज भी जांच में प्रस्तुत किया गया है, जिससे साफ है कि घटनास्थल और कथित आरोपियों का स्थान मेल नहीं खाता।

शिकायत में कहा गया है कि आरोपी युवक अंशुल, अभय और अर्पित उस वक्त अपनी कार में जेएनवी रोड से होकर फतेहगढ़ चौराहा होते हुए कोतवाली पहुंचे थे, जिसकी पुष्टि कार की GPS ट्रैकिंग और CCTV फुटेज से होती है। घटना के समय उनका घटनास्थल पर होना संभव नहीं है। सबसे सनसनीखेज आरोप सिविल लाइन चौकी पर तैनात सिपाही सतेंद्र पर लगा है, जिसने 19 मई की रात करीब 10:20 बजे अंशुल को हिरासत में लिया और छोड़ने के एवज में ₹1 लाख की मांग की। मना करने पर उसे झूठे मामले में फंसा दिया गया।

बताया गया कि अंशुल और सतेंद्र के बीच पहले से रुपयों के लेन-देन को लेकर कहासुनी हो चुकी थी और सिपाही ने उसे सबक सिखाने की धमकी दी थी। पीड़ित पक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि इस मामले का संबंध कुछ दिन पहले हुई एक फायरिंग की घटना से भी है, जिसमें आरोपी अभी तक गिरफ्तार नहीं हुए हैं। बलवीर सिंह नामक विवेचक पर आरोप है कि वह फायरिंग केस के आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं और रंजिशन अभिनव तोमर को ही आरोपी बना दिया गया है।

सिपाही सतेंद्र और विवेचक बलवीर सिंह की भूमिका की जांच कराई जाए। मुकदमे की पुनः विवेचना कर पारदर्शी जांच अधिकारी नियुक्त किया जाए। 19 मई की रात 10:15 से 12 बजे तक सर्विलांस रिकॉर्ड निकाला जाए। GPS, CCTV और मोबाइल लोकेशन को साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जाए।पीड़ितों ने एसपी से मुलाकात कर विस्तृत शिकायत दी है। अब देखना होगा कि फर्रुखाबाद पुलिस इस गंभीर मामले में निष्पक्षता बरतती है या फिर “ईमानदार पुलिस” का दावा केवल नारे तक सीमित रह जाता।

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