लखनऊ में सीबीआई की पूछताछ में सामने आए चौंकाने वाले राज
लखनऊ। सिंगापुर निवासी राजेश रोथरा द्वारा भारतीय बैंकों को करीब 400 करोड़ रुपये की चपत लगाने का मामला अब गंभीर मोड़ पर पहुंच चुका है। सीबीआई ने 31.60 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड के एक मामले में राजेश को 13 नवंबर को दिल्ली से गिरफ्तार किया था, जिसके बाद उसे लखनऊ लाया गया। यहाँ एंटी करप्शन ब्रांच ने उसे तीन दिन की पुलिस रिमांड पर लेकर गहन पूछताछ की। पूछताछ में कई सरकारी बैंकों में किए गए बड़े वित्तीय घोटाले के चौंकाने वाले खुलासे हुए।
सीबीआई के अनुसार, राजेश रोथरा और उसके गिरोह ने पंजाब नेशनल बैंक सहित कई सरकारी बैंकों से फर्जी कागजात और निर्यात बिलों के माध्यम से सैकड़ों करोड़ रुपये की ठगी की। जांच में सामने आया कि राजेश के साथी नवीन रोथरा का मुख्य काम विभिन्न कंपनियों को निर्यात संबंधी फर्जी बिल उपलब्ध कराना था, जिनके माध्यम से बैंक ऋण और विदेशी ऋण पत्र (एफएलसी) सीमा का गलत लाभ उठाया जाता था। राजेश की कंपनियां—फारईस्ट और गल्फ डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड—इन फर्जी दस्तावेजों को तैयार करने और लेनदेन दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं।
सीबीआई सूत्रों का कहना है कि पूछताछ के दौरान राजेश रोथरा की 400 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी में संलिप्तता पुख्ता हुई है। वह फ्रास्ट इंफ्रास्ट्रक्चर एंड एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एफआईईएल) जैसी कंपनियों के निदेशकों के साथ मिलकर गलत तरीके से खरीद-बिक्री के सौदे दिखाता था, ताकि बैंक इसे वास्तविक व्यापार मानकर बड़ी रकम जारी कर दें।
सीबीआई लखनऊ में राजेश पर आठ मुकदमों की जांच पहले से चल रही थी। लखनऊ में की गई ताजा पूछताछ ने बैंक ठगी के पूरे नेटवर्क, कंपनियों के आपसी लेनदेन और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहे फर्जीवाड़े की गहरी परतें उजागर कर दी हैं। सीबीआई अब गिरोह के अन्य सदस्यों, कंपनियों की वित्तीय गतिविधियों और विदेश में हुए लेनदेन की भी जांच कर रही है।
मामले को वित्तीय जगत में हाल के वर्षों की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ियों में से एक माना जा रहा है, जिसने कई सरकारी बैंकों और उनके सुरक्षा तंत्र की गंभीर खामियों को बेनकाब कर दिया है।






