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Thursday, December 26, 2024

तीन हजार शस्त्र लाइसेंस धारकों पर लटकी शस्त्र निरस्तीकरण की तलवार

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चन्द्रपाल सिंह सेंगर
फर्रुखाबाद जिले के तीन हजार शस्त्र लाइसेंस धारकों के ऊपर शस्त्र लाइसेंस निरस्तीकरण की तलवार लटक गई है। जिले के लगभग 18 हजार शस्त्र लाइसेंस धारकों में से तीन हजार शस्त्र लाइसेंस धारकों ने अपने लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं कराया है। नगर मजिस्ट्रेट ने इन लाइसेंस धारकों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। नोटिस का जवाब न देने या नियमानुसार नवीनीकरण न कराने पर लाइसेंस धारक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। शस्त्र लाइसेंस का नवीनीकरण पांच वर्ष के लिए किया जाता है।
शस्त्रलाइसेंस में पारदर्शिता और एकरूपता लाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वर्ष 2012 में नेशनल डेटाबेस ऑफ आर्म्स लाइसेंस (एनडीएएल) पोर्टल शुरू किया था। इस पहल का उद्देश्य हथियार लाइसेंस प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाना था। इसी के साथ एक व्यक्ति के नाम पर दो से अधिक लाइसेंस को यूआइएन देने पर भी रोक थी। जिसके चलते काफी लोगों ने अपने शस्त्र लाइसेंस सरेंडर भी किए थे। इस पोर्टल पर शस्त्र लाइसेंस धारकों की जानकारी अपलोड करनी थी। यह यूआईएन किसी भी कंप्यूटर पर डालने पर धारक की पूरी जानकारी स्क्रीन पर दिखाता है, जिससे फर्जी हथियार लाइसेंस पर रोक लगाई जा सके। हालांकि काफी शस्त्र लाइसेंस धारकों ने यूआइडी प्राप्त करने के बाद बढ़ी नवीनीकरण की फीस के चलते इस ओर ध्यान नहीं दिया। इनमें से कई ने तो यूआइडी नंबर भी नहीं लिया है। हालांकि अब शासन की ओर से शस्त्रों के नवीनीकरण के बारे में सूचना मांगी है। इसी के बाद अब नोटिस जारी करने की तैयारी कर ली गई है। नगर मजिस्ट्रेट ने बताया कि जनपद के लगभग 18 हजार लाइसेंस में तीन हजार का नवीनीकरण नहीं कराया गया है। इन लाइसेंस की नवीनीकरण की अवधि भी समाप्त हो चुकी है। कई लाइसेंस धारकों ने यूआइएन प्राप्त करने के लिए अपनी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है। ऐसे सभी लाइसेंस धारकों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं। नोटिस के क्रम में नवीनीकरण न कराने वाले लाइसेंस धारकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

शस्त्र लाइसेंस यूआईडी नंबर में यह होती जानकारी
शस्त्र लाइसेंस यूनिक आईडी नंबर में 18 अंकों की संख्या होती है। यह संख्या लाइसेंस धारक के शस्त्र लाइसेंस के साथ हमेशा जुड़ी रहती है। शस्त्र लाइसेंस यूनिक आईडी नंबर देखकर ही लाइसेंस धारक का प्रदेश व जनपद के अलावा लाइसेंस का प्रकार, शस्त्र का प्रकार (पिस्तौल, राइफल, बंदूक आदि) के बारे में जानकारी हो सकती है। इससे लाइसेंस और शस्त्र की पहचान को ट्रैक करना आसान हो जाता है। डाटा बेस में शस्त्र धारक का नाम, आधार नंबर, और अंगुलियों के निशान आदि भी संकलित किए जाते हैं।

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