फर्रुखाबाद। मोहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के 21 वर्ष पुराने अवैध हथियार रखने के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) घनश्याम शुक्ला की अदालत ने एक ग्रामीण को दोषी करार देते हुए फैसला सुनाया है। अदालत ने आरोपी को जेल में बिताई गई अवधि को सजा मानते हुए 1000 रुपये का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया है। यह फैसला आने के साथ ही दो दशक पुराने इस मामले पर न्यायिक कार्यवाही का पटाक्षेप हुआ।
मामला वर्ष 2004 का है। तत्कालीन हेड कांस्टेबल दीप सिंह ने नगला तरा गांव निवासी रतिराम पुत्र दयाराम के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। रिपोर्ट के अनुसार, 4 फरवरी 2004 को दीप सिंह नगला मूल की ओर गश्त पर थे। इस दौरान मुखबिर से सूचना मिली कि एक व्यक्ति अवैध हथियार लेकर घूम रहा है। पुलिस ने सूचना के आधार पर तिराहे के पास रतिराम को रोका। तलाशी में उसके पास से .315 बोर का तमंचा और दो खाली कारतूस बरामद हुए थे। पूछताछ में रतिराम ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया था।
लंबे समय तक चले इस मुकदमे में दोनों पक्षों की दलीलों और गवाहों के बयान दर्ज किए गए। सभी साक्ष्यों और सबूतों पर विचार करने के बाद अदालत ने यह माना कि रतिराम अवैध हथियार रखने का दोषी है। सीजेएम घनश्याम शुक्ला ने अपने निर्णय में कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य स्पष्ट रूप से अपराध सिद्ध करते हैं।
अदालत ने रतिराम को पहले से जेल में बिताई गई अवधि को सजा के रूप में मानते हुए 1000 रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया।






