मेजर एसडी सिंह यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डॉ. अनार सिंह से दैनिक यूथ इंडिया की विशेष बातचीत
लखनऊ /फर्रुखाबाद।देश में शिक्षा व्यवस्था तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रही है। तकनीक, रोजगार, प्रतिस्पर्धा और सामाजिक मूल्यों के बीच संतुलन आज सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। इन्हीं मुद्दों पर दैनिक यूथ इंडिया ने मेजर एसडी सिंह यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डॉ. अनार सिंह से विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश—
प्रश्न: आज की शिक्षा व्यवस्था को आप किस दृष्टि से देखते हैं?
डॉ. अनार सिंह:आज की शिक्षा व्यवस्था एक संक्रमण काल से गुजर रही है। शिक्षा को केवल डिग्री और नौकरी तक सीमित कर दिया गया है, जबकि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य चरित्र निर्माण, अनुशासन और सामाजिक उत्तरदायित्व विकसित करना है। यदि शिक्षा बेहतर इंसान नहीं बना पा रही, तो वह अधूरी है।
प्रश्न: निजी विश्वविद्यालयों पर शिक्षा के व्यवसायीकरण का आरोप लगता है, आप इसे कैसे देखते हैं?
डॉ. अनार सिंह:यह चिंता जायज़ है, लेकिन सभी निजी संस्थानों को एक ही तराजू से तौलना उचित नहीं। कुछ संस्थान लाभ को प्राथमिकता देते हैं, पर कई विश्वविद्यालय ऐसे भी हैं जो गुणवत्ता, शोध और रोजगारपरक शिक्षा पर गंभीरता से काम कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य मुनाफा नहीं, बल्कि योग्य, आत्मनिर्भर और जिम्मेदार युवा तैयार करना है।
प्रश्न: आज के युवाओं की सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
डॉ. अनार सिंह:आज का युवा प्रतिभाशाली है, लेकिन कई बार दिशाहीन हो जाता है। सोशल मीडिया और त्वरित सफलता की चाह ने धैर्य और निरंतर मेहनत को कमजोर किया है। युवाओं को समझना होगा कि मजबूत कैरियर अनुशासन, सतत सीख और आत्मसंयम से बनता है, शॉर्टकट से नहीं।
प्रश्न: शिक्षा में तकनीक और एआई की भूमिका को आप कैसे देखते हैं?
डॉ. अनार सिंह:तकनीक और एआई आज की आवश्यकता हैं, लेकिन उन्हें शिक्षक का विकल्प नहीं, सहयोगी माना जाना चाहिए। तकनीक ज्ञान को सरल बनाती है, पर मूल्य, विवेक और संस्कार शिक्षक ही देता है। हम डिजिटल स्किल्स के साथ नैतिक शिक्षा पर भी समान जोर देते हैं।
प्रश्न: ग्रामीण और मध्यम वर्ग के छात्रों के लिए आपकी क्या सोच है?
डॉ. अनार सिंह:ग्रामीण और मध्यम वर्ग के छात्र देश की सबसे बड़ी ताकत हैं। उनमें संघर्ष और धैर्य की क्षमता होती है। जरूरत है उन्हें सही मार्गदर्शन, मंच और अवसर देने की। आर्थिक स्थिति किसी भी छात्र की प्रतिभा के आड़े नहीं आनी चाहिए—यही हमारी सोच है।
प्रश्न: शिक्षा में मूल्यों की भूमिका कितनी अहम है?
डॉ. अनार सिंह:मूल्यविहीन शिक्षा समाज को खोखला बना देती है। आज हम डिग्रीधारी तो बहुत बना रहे हैं, लेकिन संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक कम बन पा रहे हैं। शिक्षा का उद्देश्य केवल करियर नहीं, बल्कि समाज के प्रति जवाबदेही भी है।
प्रश्न: अभिभावकों के लिए आपका संदेश?
डॉ. अनार सिंह:अभिभावक बच्चों पर केवल अंक और पैकेज का दबाव न डालें। उनकी रुचि और क्षमता को समझें। हर बच्चा डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बन सकता, लेकिन हर बच्चा अच्छा इंसान बन सकता है—और वही सबसे बड़ी सफलता है।
प्रश्न: यूथ इंडिया के पाठकों के लिए आपका संदेश?
डॉ. अनार सिंह:युवा देश का भविष्य नहीं, बल्कि वर्तमान हैं। उन्हें चाहिए कि वे सोचें, सवाल करें, सीखें और जिम्मेदारी निभाएं। शिक्षा को साधन बनाइए, लक्ष्य नहीं। लक्ष्य होना चाहिए—एक बेहतर इंसान और सशक्त राष्ट्र।
डॉ. अनार सिंह की यह बातचीत स्पष्ट करती है कि जब शिक्षा को मूल्य, तकनीक और रोजगार से संतुलित रूप में जोड़ा जाता है, तभी राष्ट्र निर्माण की मजबूत नींव तैयार होती है।


