– फतेहगढ़ की धरती को जिसने न्याय, शिक्षा और सेवा का संस्कार दिया,
– वह नाम था — स्वर्गीय बैरिस्टर बाबू ब्रजनंदन लाल कटियार ।
फर्रुखाबाद: हंसमुख चेहरा, विनम्र व्यक्तित्व और जनसेवा के प्रति आजीवन समर्पण उनका परिचय रहा। वे उन विरल विभूतियों में से थे जिन्होंने समाज के हर वर्ग तक मदद का हाथ बढ़ाया। अपने पिता, फतेहगढ़ बार एसोसिएशन के संस्थापक स्वर्गीय बैरिस्टर बाबू गेंदन लाल कटियार (Late Barrister Babu Gendan Lal Katiyar) के पदचिन्हों पर चलते हुए, आदरणीय बाबूजी ने इंग्लैंड के ‘The Honourable Society of the Inner Temple’ से बैरिस्टरी की उपाधि प्राप्त की। वहीं उनकी मुलाकात भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू जी से हुई।
दोनों ने Inner Temple Inn में साथ-साथ अध्ययन किया, और नेहरू जी के प्रधानमंत्री बनने के पश्चात स्वयं वे बढ़पुर स्थित बाबूजी की कोठी पर उनके अतिथि बनकर आए — यह घटना आज भी जिले के इतिहास में गौरव का अध्याय है। आदरणीय बाबूजी स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूतों में रहे। आज़ादी से पूर्व वे यूनाइटेड प्रोविंसेज़ की विधान परिषद (MLC) के सदस्य रहे और उन्होंने फर्रुखाबाद एवं आस-पास के क्षेत्रों के स्वतंत्रता सेनानियों की आवाज़ बुलंद की।
1919 में उन्होंने ‘फर्रुखाबाद डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक’ की स्थापना की — जिसने जनपद को सहकारिता आंदोलन की दिशा दी और किसानों को आर्थिक सशक्तिकरण का मार्ग दिखाया। बाबूजी का मानना था — “शिक्षा समाज का सबसे बड़ा निवेश है।” इसी भाव से उन्होंने ‘क्रिश्चियन इंटर कॉलेज’ की स्थापना हेतु अपनी भूमि निशुल्क दान दी। स्त्री शिक्षा के लिए उन्होंने कई ‘बालिका विद्यालयों’ की स्थापना करवाई, ताकि समाज की हर बेटी ज्ञान का अधिकार पा सके।
स्वास्थ्य सेवाओं के लिए उन्होंने ‘मिशन अस्पताल’ हेतु अपनी भूमि दान की, और प्रशासनिक विकास के लिए ‘बढ़पुर ब्लॉक’ भवन के निर्माण में भी ज़मीन दी।
बाबूजी फतेहगढ़ बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रहे। उनके न्याय और मानवता के आदर्शों को याद करते हुए, 7 अक्टूबर 2024 को हाई कोर्ट के माननीय न्यायमूर्ति श्री शेखर यादव जी के करकमलों से ‘बाबू ब्रजनंदन लाल सभागार’ का उद्घाटन किया गया — जो जनपद के अधिवक्ताओं की एकजुटता और उनके प्रति श्रद्धा का प्रतीक है।
आज भी उनके स्नेह, सेवा और सादगी की स्मृतियाँ जनपद के प्रत्येक नागरिक के हृदय में जीवंत हैं। उनकी जयंती पर हर वर्ष आयोजित श्रद्धांजलि समारोहन केवल उन्हें नमन करता है, बल्कि नई पीढ़ी को प्रेरित भी करता है।


